अजब – ग़ज़ब कानून….
किसी ने बिलकुल ठीक कहा है कि कानून की पेचीदगियां समझना सब के बस की बात नहीं | आप सोच में होंगे की ऐसा क्या है | तो सुनिए , दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और योगेश खन्ना की खंडपीठ ने जो टिप्पणी की है उसने कम से कम मुझे तो ऐसा ही सोचने पर मजबूर कर दिया है | इन दोनों की खंडपीठ ने एक महिला की अपील यह कहते हुए खारिज कर दी है कि , पति से शारीरिक सम्बन्ध बनाने से इनकार करना और उस पर दूसरी महिला से सम्बन्ध होने का झूठा आरोप लगाना क्रूरता की श्रेणी में आता है |
उस महिला ने अपने पति द्वारा दायर तलाक़नामे को खारिज करने की अपील कोर्ट से की थी | एक ओर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि , पत्नी की मर्ज़ी के बगैर उससे सम्बन्ध बनाना बलात्कार माना जाएगा और अब दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ का यह कहना कि , पति से शारीरिक सम्बन्ध के लिए इनकार करना क्रूरता है | सामान्य व्यक्ति के लिए ये दोनों ही निर्णय महत्वपूर्ण हैं , लेकिन साथ ही उसकी उलझनें बढाने वाली भी | उसके लिए यह समझना मुश्किल है कि ऐसी स्थिति आने पर कौन दोषी माना जायेगा , वह पति जिसने पत्नी की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक सम्बन्ध बनाया या फिर वो पत्नी जिसने पति को ऐसा करने से मना किया |