अपराध बेलगाम
जिसकी आशंका थी प्रदेश की वही पुरानी तस्वीर एक बार फिर बिहार वासियों को नज़र आने लगी है | ये कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए की नीतीश कुमार ने अपने पहले कार्यकाल में बिहार में जिस भयमुक्त वातावरण से बिहार के अधिकाँश निवासियों को राहत दी थी अब उसका नमो -निशाँ मिटता जा रहा है | वैसे यह कोई अप्रत्याशित भी नहीं है | राजद से जद यू के गठबंधन के बाद से ही तमाम बिहारवासियों को लग गया था की ९० का दशक फिर से जरूर लौटेगा | हुआ भी बिलकुल वैसा ही है | मीडिया में इन दिनों सबसे ज्यादा ख़बरें अपराध और अपराधियों की ही होती है |शराब की बरामदगी और उससे जुड़े माफियाओं की बात हटा दें तो भी हत्या , लूट , बलात्कार , अपहरण , चोरी ,डकैती , ज़मीन पर जबरन कब्ज़ा और हर किस्म के अपराध और रंगदारी का ग्राफ बहुत ही ऊपर पंहुच गया है | बैंकों में घुस कर लूटपाट , कैश वैन लूट , सरेराह हत्या , व्यापारी और उसके सहयोगी को दौड़ा कर गोली मार देने जैसी घटनाएं फिर से आम हो गई हैं | अगर आप समाचार पत्र पढ़ते हैं तो आपको किसी और प्रमाण की जरूरत नहीं होगी | सर्वाधिक ख़बरें अपराध की ही होती हैं | शहर के साथ – साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपराध का ग्राफ बेतहासा बढ़ा है | अब लड़कियों का स्कूल – कालेज जाना दुश्वार होता जा रहा है | ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को घर से उठाकर ले जाना और उनसे दुष्कर्म करना तो जैसे वहां के दबंगों का जन्मसिद्ध अधिकार बन गया है | वहाँ लडकियां अब पढने जाने या घर से निकलने में फिर से घबराने लगी हैं | हो सकता है की इससे गठबंधन सरकार पूरी तरह किनारा कर ले और कह दे की ये सब सरकार को बदनाम करने की विरोधियों की चाल है | या फिर वही राटा – रटाया जुमला कि , देश के अन्य राज्यों में भी ऐसा हो रहा है | या फिर ये कि मीडिया किसी के इशारे पर सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है | सत्ता में बैठे प्रदेश के बड़े – बड़े नेता और मंत्री चाहे जो भी कहें , हकीकत से वो भी नावाकिफ नहीं हैं | बेहतर होगा यदि नीतीशजी स्वयं इस स्थिति की गम्बीर्ता को समय रहते नियंत्रित करने का सख्त फरमान ज़ारी कर दें | कहीं ऐसा न हो कि उनकी साफ़ सुथरी छवि भी कल को वैसी ही दागदार दिखने लगे जैसी उनके सहयोगी दलों के दिग्गजों की है | इतना तो वो भी मानेगे की अपराध तब तक नहीं बढ़ सकता जब तक कि उसे पोषित और संरक्षित न किया जाए |