आग से खेलने की नादानी ……..

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गर्मियां आते ही अगलगी की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है ,लेकिन ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र में |कहीं फसलें जल जाती हैं तो कहीं सैकड़ों की संख्या में झोपड़ियाँ |उसकी कई वजहें हैं ,जिनमे सबसे प्रमुख है उन क्षेत्रों में अग्निशामक सुविधाओं का न होना और लोगों में जागरूकता का अभाव |कई बार ऐसा भी लगता है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से जूझने की आदत सी पद जाती है ,या फिर वो लोग अभिशप्त से इन्हें झेलने को |लेकिन इसी प्रकार की घटनाएं जब शहरों में और खासकर प्रदेश की राजधानी पटना में एक के बाद एक होती हैं और फिर भी लोग उससे सबक नहीं लेते तो ताज्जुब भी होता है उन लोगों पर गुस्सा भी आता है |इसका कारण है ,अग्निशमन विभाग द्वारा लोगो को इससे सम्बंधित नियमों की जानकारी के साथ साथ इससे बचाव के उपाय भी बताते रहना |

तमाम नियमों और कोशिशों के बावजूद अगलगी की घटनाएं पटना में आम हैं |अभी एक दिन पहले ही यहाँ के कंकड़बाग़ इलाके में नूतन टावर में आग लग गई जिसमे दो फ्लैट इसकी चपेट में आ गए और काफी कुछ जलकर राख हो गया |ये तो शुक्र है की यह अपार्टमेन्ट चौड़ी सड़क पर है और अग्निशामक गाड़ियाँ वहां आसानी से पहुँच गयी |फिर भी अग्निशामक दल को चार घंटे से भी ज्यादा का वक़्त लग गया आग पर काबू पाने में |पटना की कुछ सड़कें और गलियां तो इतनी सकरी हैं कि लाख कोशिशों के बावजूद दमकल गाड़ी वहां नहीं पंहुच पाती |वाइज भी पटना में मानदंड के मुताबिक और नियमो के अनुसार कुछ भी नहीं होता |नियम हैं पर उनका पालन नहीं होता |सम्बंधित विभाग भी इस मामले में उदासीन बना रहता है और हम सब भी नियमों का पालन अपनी तौहीन समझते हैं | नतीजा ,सैकड़ों – हज़ारों दुर्घटनाएं |


अगलगी की सबसे ज्यादा घटनाएं शार्ट शर्किट से होती हैं |ओवरलोडिंग ,टोका फंसा कर बिजली लेना ,बिजली के घटिया उपकरण और नियमो को टाक पर रखकर बिजली का इस्तेमाल खतरों को कई गुना बढ़ा देता है |जान बूझ कर लोग ऐसे जोखिम उठाते हैं जो जानलेवा साबित होती है |गत वर्ष बिहार में दस हज़ार से ज्यादा अगलगी की घटनाएं हुई जिसमे सबसे अधिक संख्या शार्ट शर्किट से लगने वाली आग के कारण हुई |बिहार फायर सर्विस एक्ट आजादी के तुरंत बाद १९४८ में ही बन गया था लेकिन टाल मटोल चलती रही और अन्तः २०१४ में इसे अनिवार्य कर दिया गया ,लेकिन वह भी बेकार | कारण यह कि , न तो सरकार के सम्बंधित विभाग ने इसे लागू करवाने में सख्ती बरतना जरूरी समझा और न ही आम लोगों ने इसकी गंभीरता को समझा |नियम के अनुसार बहुमंजिली ईमारत , होटल ,सिनेमा हाल ,मार्केट , शादी -विवाह या अन्य उत्सव स्थल ,विभिन्न कार्यालयों और इसी प्रकार के सार्वजनिक स्थलों के लिए अग्नि सुरक्षा मानको और अग्नि शामक यंत्रों को अनिवार्य कर दिया गया |यह नियम बना दिया गया कि एल पी जी गैस गोदाम किसी भी हालत में रिहाइशी इलाकों में नहीं होंगे |सभी अपार्टमेन्ट बिल्डर्स के लिए अग्निशामक नियमो का पालन अनिवार्य बना दिया गया है |लेकिन पटना में सब कुछ कागज़ पर चल रहा है |गिनती की ऐसी बिल्डिंगें होंगी जहां अग्निशामक यंत्र लगे हैं |जहां लगे भी हैं वो काम नहीं करते |अग्निशमन विभाग से बड़ी ही आसानी से लोग सर्टिफिकेट प्राप्त कर बड़ी – बड़ी इमारतें ,सिनेमाहाल और मार्किट बना ले रहे हैं , लोगों की जान की परवाह किसी को नहीं | आपको यह जानकार ताज्जुब होगा की सिर्फ पटना में ४२ एल पी जी गैस गोदाम ऐसे इलाकों में हैं जहाँ घनी आबादी है | पूरे राज्य का कमोवेश यही हाल है |सब कुछ जिला प्रशासन और सरकार की आँख के सामने और उनकी नाक के नीचे हो रहा है |सरकार को मालूम है कि जब भी कोई हादशा होगा तो इन्क्वायरी और मुआवज़े की आड़ में सब नियंत्रित हो जाएगा | हम सब भी उसी से संतुष्ट हो जाते हैं क्यूंकि हम जानते हैं कि हमारी भी उतनी ही गलती है जितनी सरकार की |बल्कि ,उससे कहीं ज्यादा |गलत रास्तों से ज़रा सी सुविधा उठा लेने के हम आदी हो गए हैं |अब वक़्त आ गया है कि हम नियमों के महत्व को समझें ,उसका इमानदारी से पालन करें |हमें बिना देर किये जागरूक होना ही पड़ेगा वरना बहुत देर हो जायेगी |आग की चपेट में हम अपनी गाढ़ी कमाई ही नहीं गंवाते हैं बल्कि उस आग में हमारे अपने और सपने दोनों ही खाक हो जाते है |हमें मिलती है तो सिर्फ राख |इंसान ने चाहे कितनी ही तरक्की क्यूँ न कर ली हो ,आग और पानी पर वह काबू नहीं कर सका है |इससे पहले कि बहुत देर हो जाए ,जाग जाइए |

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