इलाज़ या इन्तजारे मौत ….
उनकी जान लोग कहते हैं कि अगर आप को बेहतरीन डाक्टरों से इलाज़ करना है तो दिल्ली के एम्स चले जाइये | शयद ये सच भी हो | देश के अन्य राज्यों के डाक्टर भी कई रोगों के इलाज और मरीज़ की हालत देखते हुए उसे एम्स ले जाने के लिए कह देते हैं | लोग ऐसा करते भी हैं | अब ये कुछ लोगों को ठीक भी लग सकता है ,लेकिन बिहार की रामरती देवी के लिए तो यह एक पहेली भी है और मज़ाक भी | ६५ वर्षीया रामरती को ब्रेन ट्यूमर है | उसका जल्द से जल्द आपरेशन होना चहिये सके | यही सोचकर उनके पुत्र गुलाब उन्हें एम्स ले गए | वहां के भारी खर्च का अंदाजा था इसलिए गुलाब ने अपनी ज़मीन बेच दी | माँ का इलाज़ जो करना था | वहां के बड़े बड़े डाक्टरों ने उन्हें एम् आर आई सहित दर्ज़नो जांच करवाने को कह दिया जो वो करवाते रहे | एम्स में डाक्टरों द्वारा मरीज के दर्जनों जांच कराना उनकी दिनचर्या बन गई है |
खैर , बेचारे गुलाब करते भी तो क्या करते | जैसा – जैसा निर्देश डाक्टरों ने दिया करते गए | सभी जांच हो गयी | डाक्टरों ने जांचा , परखा, देखा और उन्हें आपरेशन की तारीख दे दी | गुलाब ने राहत की सांस ली, लेकिन जब उन्होंने आपरेशन की तारीख देखी तो उनके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक गई | तारीख थी .. २० फ़रवरी २०२०| उन्हें लगा शायद गलती से ऐसा हो गया | फ़ौरन डाक्टर साहब के पास गए जहाँ उन्हें टका सा जवाब मिला की इससे पहले की तारीख नहीं मिल सकती क्यूंकि मरीजों की संख्या बहुत है |
अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा लीजिये की इससे बड़ा मज़ाक और क्या हो सकता है | बीमारी से कमजोर शारीर , ६५ की उम्र , हालत नाजुक और आपरेशन की तारीख तीन साल बाद की | ये इलाज़ की तारीख है या मौत के इंतज़ार की तारीख इसका अंदाज़ा आप स्वयं लगा लें |