कंगारुओं को सटीक जवाब ……..
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को अंतिम टेस्ट में आठ विकेट से हराकर गावस्कर -बार्डर ट्राफी पर फिर से कब्ज़ा कर लिया |१९९६ से इन दोनों देशों के बीच शुरू हुई यह ट्राफी टेस्ट सीरीज में सफल रहने वाली टीम को मिलती है , और इस बार को मिलाकर भारत ने सातवीं बार इस पर कब्ज़ा किया है | ऑस्ट्रेलिया टीम इसे पांच बार जीत चुकी है | यह २००८ से लेकर अब तक की चौथी सीरीज थी जबकि भारत अपनी धरती पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीती है या यूँ कहे कि भारतीय धरती पर कंगारुओं की लगातार चौथी सीरीज की हार | वैसे इस जीत के साथ ही विरत कोहली २०१५ से लगातार सात टेस्ट सीरीज जीत चुके हैं | आई सी सी रैंकिंग में भारत आज दुनिया की नंबर एक टीम है | उसने हर टेस्ट खेलने वाले देश के विरुद्ध सीरीज जीतने का गौरव हासिल कर रखा है |भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका ही ऐसे देश हैं जिन्हें यह गौरव प्राप्त है |
बहरहाल , हम बात करेंगे इस सीरीज में भारत के शानदार जीत की | कंगारू जुझारू क्रिकेट खेलने और विपक्षी टीम पर बेहिसाब फब्तियां कसने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं |इस दौरे पर भी उनकी शुरुआत कुछ ऐसी ही रही | जिस आसानी से उन्होंने पुणे टेस्ट जीता उससे लगा था कि विरत कोहली की सफलता की कहानी पर ब्रेक लगाने में स्टीव स्मिथ एंड कम्पनी को सफलता मिल सकती है |लेकिन कोहली और उनके साथियों ने मेहमान टीम को करार जवाब दिया |बेंगलुरु टेस्ट जीत कर न सिर्फ भारत ने १ – १ की बराबरी ले ली बल्कि फब्तियां कसने के मामले में भी कंगारुओं की बोलती बंद कर दी | ऑस्ट्रेलिया टीम के इस मनोबल तोड़ने वाली रणनीति का शायद ही कभी किसी ने इतने आक्रामक और माकूल ढंग से जवाब दिया हो |कप्तान कोहली सहित हर भारतीय खिलाड़ी की बाड़ी लैंग्वेज बेहद आक्रामक और सकारात्मक रही | इससे मेहमान टीम के हौसले पस्त हो गए | उनका भाग्य अच्छा रहा की इस सीरीज में कोहली का बल्ला नहीं चला और चौथे टेस्ट से पूर्व वह चोटिल भी हो गए |लेकिन कोच अनिल कुंबले की देख – रेख में भारतीय टीम इतनी संतुलित और जुझारू हो गई है कि बल्ले से कोहली की विफलता कहीं भी टीम की सफलता के आड़े नहीं आई | चेतेश्वर पुजारा , के एल राहुल , मुरली विजय , रविन्द्र जडेजा , अजिंक्य रहाणे और विकेट कीपर रिद्धिमान साहा ने कंगारू गेंदबाजों की तमाम उमीदों पर पानी फेर दिया | रांची में खेला गया तीसरा टेस्ट ड्रा होने के बाद धर्मशाला के चौथे और आखिरी टेस्ट में कोहली की गैरमौजूदगी में भी रहाणे की अगुआई में भारत ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए आठ विकेट के बड़े अंतर से विजय हासिल कर ली | इस सीरीज की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि हमने सीरीज बल्लेबाजों नहीं बल्कि गेंदबाजों के दम पर जीती | भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए यह बेहद सुखद संकेत है | चौथे टेस्ट में पहली बार खेल रहे स्पिन गेंदबाज़ कुलदीप यादव ने अपनी चाइना मैन गेंद बाज़ी से न सिर्फ कंगारुओं की कमर तोड़ दी , बल्कि एक लम्बे अरसे बाद दर्शकों को गेंदबाजी की इस अनूठी कला के दर्शन भी कराये |वैसे पूरी सीरीज में रवीन्द्र जडेजा , आर . अश्विन , उमेश यादव सहित लगभग हर गेंद बाज़ ने प्रभावित किया |जडेजा , अश्विन और उमेश यादव तो लाजवाब रहे | जडेजा तो बल्ले के साथ भी बेहद सफल रहे और ” मैन आफ द सीरीज ” बने |मेहमान टीम की और से उनके स्पिन गेंदबाज़ ओ’कीफ और लायन ने प्रभावित किया जब कि तेज गेंदबाजी में हेजल वुड ने अछि गेंदबाजी की | बल्लेबाज़ी में कप्तान स्मिथ को छोड़कर बाकी या तो सामान्य रहे या फिर असफल | कुल मिलाकर यह सीरीज अंतर रास्ट्रीय क्रिकेट में भारत के रुतबे को और भी बढ़ा गई और साथ ही एक नया जोश भी भर दिया | कोहली एंड कंपनी को बहुत बहुत बधाई |