कौन आडवाणी जी को राष्ट्रपति बनने से रोकना चाहता है ?
बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुछ लोग सरकार के मंशे पर भी सवाल उठाते नजर आये |क्या सी बी आई सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से पल्ला झाड़ सकती थी ?…ये लाख नटके का सवाल है | शिव सेना और लालू यादव ने इसके लिए सीधे सीधे केंद्रीय सरकार को कटघरे में खडा किया |उन्होंने कहा कि ये सीधे सीधे आडवानी जी के राजनैतिक जीवन समाप्त कराने की साजिश है |उनका कहना है कि सी बी आई जो प्रधानमंत्री के जिम्मे है ,अगर चाहती तो केस को आगे चलाने से मना कर सकती थी | कानूनविदो की राय में अब आडवाणी जी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर संशय के बादल छा गए हैं |
बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह सहित भाजपा एवं विश्व हिंदू आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलाने की अनुमती दी। इसके बाद से राजनैतिक समीकरण फिर से बदल गए और कई दलों के नेताओं ने बयान दिया, लेकिन कांग्रेस अपने स्टैंड से बचती हुई दिखी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में लगातार हार और राज्यों में बड़े कांग्रेसी नेताओं के पार्टी छोड़ने से पार्टी बैकफुट पर है। ऐसे में वह इस मुद्दे पर कोई गलत स्टेप नहीं लेना चाहती है और वेट एंड वाच की रणनीति अपनाई हुई है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और एके एंटनी सहित दूसरे नेताओं ने केंद्रीय मंत्री उमा भारती और राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह का इस्तीफा मांगा। लेकिन, वह इस मुद्दे पर सीधे-सीधे स्टैंड लेने से बचते रहे।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। इस मामले में न्याय होना चाहिए और सजा मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष ने अपना रुख अबतक स्पष्ट नहीं किया है। कांग्रेस जहां बाकी डेवलपमेंट का इंतजार करती दिख रही है वहीं दूसरे दल भी वेट एंड वाच की रणनीति में ही हैं।