“गब्बर इज बैक “
नोटबंदी के ५० दिन पूरे हो गए है | विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस साहसिक और अद्भुत कदम को पूरी तरह असफल और गरीब विरोधी बताया है | कांग्रेस ,राजद , तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ छोटी –छोटी पार्टियों ने इस सम्बन्ध में दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस भी की | उसमे राहुल गाँधी और ममता दीदी ने जी भरकर प्रधानमन्त्री को कोसा और उनका इस्तीफा भी माँगा | ममता दीदी ने मोदी जी की तुलना ७० के दशक की मशहूर फिल्म ‘ शोले’ के खलनायक ‘गब्बर सिंह ‘ से की | कहा की ‘ ऊ फिल्म में बोलता था की गब्बर सिंह आ जायेगा ‘| गब्बर का नाम लेकर सबको डराता था , मोदी उही गब्बर है – ‘पक्का भीलेन’|
दीदी ७० के दशक का फ़िल्मी विलेन गब्बर था | उस दशक के असली विलेन ( रियल लाइफ/ पोलिटिकल ) का जिक्र करती तो देशवासियों के ज्ञान में जरूर इजाफा होता | वो विलेन जिसने इमरजेंसी लगाई , वो विलेन जिसने प्रेस की आजादी पर प्रतिबन्ध लगाया , वो विलेन जिसने जबरन नसबंदी करवाने का फरमान जारी किया , वो विलेन जिसने नारा तो गरीबी हटाने का दिया लेकिन गरीबों की ऐसी – तैसी करके रख दी | फेहरिस्त बहुत लम्बी है सभी का जिक्र मुमकिन नहीं | फिर भी यह बताना जरूरी है की उस दशक में ही भ्रष्टाचार और तानाशाही की खिलाफत करने वाले देश के वयोवृद्ध नेता जयप्रकाश नारायण ‘जे.पी ‘ के सिर पर लाठियां बरसाई गयी थी |
बहरहाल , आज की तारीख में ममता दीदी की राजनीतिक मजबूरी है की वे उन तमाम बातों को बिलकुल ही भूल जाएँ | जहाँ तक राहुल जी के भाषणों की स्क्रिप्ट लिखने वालों की बात है तो जगजाहिर है की उनलोगों को ‘रिसर्च ‘ और साहित्य दोनों से दूर –दूर तक लेना –देना नहीं | राहुल जी के भाषण में बशीर बद्र का शेर भी लिखा तो कुछ का कुछ कर दिया | राहुल जी भी क्या करते जैसे का तैसा पढ़ दिया |
राहुल जी वो शेर मोदी जी पर लागू नहीं होता | बशीर बद्र साहब का ही शेर है जो प्रधानमन्त्री की इमेज को रोज़ निखारता है , और ज्यादा भी | वो शेर है – “ मुखालिफत “ से मेरी शख्सीयत संवारती है , मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूँ ‘| रही बात कांग्रेस और राहुल जी की नाराजगी और परेशानी की तो वो काफी हद तक जायज़ है | उन्हें ऐसे प्रधानमन्त्री की आदत पड़ चुकी थी जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जुबान कभी न खोले | जो राहुल जी की आँख का इशारा समझ कर कदम उठाये औए जिसके हस्ताक्षरित अध्यादेश को किसी फिल्मी हीरो की तरह फाड़कर राहुल जी हवा में उड़ा दें | मोदी जी तो उनके इशारे समझ नही सकेंगे और फिर प्रधानंमंत्री को खुलकर बोलने , भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और ईमानदारी के साथ आम आदमी की चिंता करने की ‘बुरी’ आदत जो है |
ममता दीदी इन दिनों नोटबंदी और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जा रहे कदम से बहुत खफा है | दीदी ७० के दशक के ‘गब्बर ‘ को भूल जाईये और २०१६ के ‘गब्बर इज बैक ‘ को देखिये | इस गब्बर का नाम सुनकर ही भ्रष्ट नेताओं , अफसरों और बिल्डरों तथा ठगों के पसीने छूट जाते हैं | यह किसी को नही छोड़ता | रही बात उनलोगों की जो ‘नेशनल हेराल्ड ‘ , बोफोर्स, अगस्ता हेलीकाप्टर , और चिटफंड कम्पनियों के घोटाले या अकूत बेनामी सम्पति अर्जित कर बैठे ,हैं उन्हें तो डरना ही है , चिढना ही है और अनाप – शनाप बोलना भी |
जनता का दर्द और उसका सच और साथ ही घडियाली आंसू बहाने वाले नेताओं का असली चेहरा भारत की सवा सौ करोड़ जनता देख रही है | आप लोगो पर तो यह कहावत सटीक बैठती है ——
“सूप बोले तो बोले ,छलनी बोल रही है
जिसमें बहत्तर छेद है ‘|