गीता की शरण में राहुल
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने देर से ही सही लेकिन एक कम तो समझदारी का कर ही लिया |आजकल वो गीता और उपनिषदों का अध्ययन कर रहे हैं |चलो जिंदगी में एक कम तो सही कर रहे हैं |उन्होंने ये इसलिए शुरू किया है ताकि आर एस एस और भाजपा से मुकाबला कर सकें |चलो उन्होंने इतना तो स्वीकार कर ही लिया कि अगर आर एस एस और भाजपा का मुकाबला करना है तो उन्हें पढना -लिखना होगा |उन्होंने कहा कि उपनिषदों में लिखा है कि सभी एक सामान हैं लेकिन संघ और भाजपा लोगों पर अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश में हैं |शायद उन्हें इस बात की समझ नहीं है कि ,जो कुछ भी इन धर्म ग्रंथों में लिखा है वही तो संघ और बज्पा की विचारधारा है |ये दोनों भी तो यही कहते हैं कि देश में सभी लोग सामान हैं और सबके लिए एक सा नियम -क़ानून होना चाहिए |राहुलजी को अब ये भी जानकारी हो गई है कि भारत में अलग -अलग प्रान्त हैं जिनकी भाषा , खान -पान ,पहनावा और अपनी एक अलग जीवन शैली और संस्कृति है |लेकिन उन्हें अभी ये समझ में नहीं आया है कि इसी को एक सूत्र में पिरोने और सबको समान समझने की बात गीता और उपनिषदों में कही गई है |उन्होंने विपक्ष को एकजुट होकर भाजपा और संघ से निपटने को कहा जो निश्चित ही राजनीति का हिस्सा है लेकिन गीता पढ़ने के बाद कहीं उनकी सोच भी संघ और भाजपा जैसी न हो जाए ,क्यूंकि उसमे भी तो सभी प्राणियों को एक समझने की बात कही गई है |इसी मूल मन्त्र और सोच के साथ तो भाजपा और संघ अपना अभियान आगे बढ़ा रहे हैं और नित्य ही उनका दायरा बढ़ता जा रहा है |राहुल के इस अध्ययन अभियान से सबसे ज्यादा चिंतित कांग्रेसी ही होंगे क्यूंकि गीता को पूरी तरह पढने और जानने के बाद उनके अन्दर भी वही सोच समां जाएगी जिसका वो अबतक विरोध करते आये हैं | राहुलजी ज़रा संभल कर |