छठवीं के बाद डरना जरुरी है

img-20160429-wa0003-776621

अब बच्चे फेल होने की चिंता छठवीं के बाद से शुरू हो सकती है . माता पिता को अब  सावधान होने की जरुरत है . पुराने नियम में बदलाव के प्रस्ताव पर विधि मंत्रालय ने अपनी सहमति दे दी है. खासकर कक्षा छह से आठ तक के नियम में बदलाव को लेकर मानव संसाधन विभाग ने विधि मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था. इसके तहत विधि मंत्रालय ने फेल न करने की नीति को आठवीं कक्षा से घटा कर पांचवीं कक्षा तक ही सीमित करने के प्रस्ताव को मान लिया.

केंद्र सरकार की ओर से पहले कक्षा आठवीं तक किसी भी बच्चे को फेल नहीं करने का नियम था  . इससे बच्चों के मन में फेल होने की चिंता नहीं रहती थी और वे  वे उद्दंडता के शिकार होने लगे थे . मानव संसाधन ने प्रस्ताव में बताया कि फेल नहीं होने की चिंता से बड़ी संख्या में बच्चे अनुशासनहीन हो रहे हैं. इस पर विधि मंत्रालय ने सहमति देते हुए कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षा का अधिकार, 2009 की धारा 16 को संशोधित कर सकता है, क्योंकि यह प्रस्ताव उपसमिति की सिफारिश पर आधारित है और नीति के विषय से संबंधित है.’

 

 बदलाव

विधि मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकारें जरूरत पडने पर छठी, सातवीं या आठवीं कक्षा तक बच्चों को एक ही कक्षा में रोकने के लिए नियम बना सकते हैं. लेकिन, उसके लिए छात्रों को (दोबारा परीक्षा में शामिल होने देने के लिए) अतिरिक्त मौका दिया जा सकता है. विभाग ने यह भी कहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फेल न करने की नीति आठवीं कक्षा से घटा कर पांचवीं कक्षा तक करने का फैसला मौजूदा प्रावधान के विभिन्न प्रतिकूल परिणामों की समीक्षा करने के बाद किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via
Copy link
Powered by Social Snap