जनादेश का अपमान क्यूं ……
आजकल हमारे देश में जनादेश को स्वीकार न करने की कुछ ” तथाकथित सेक्युलर ” पार्टियों ने आदत बना ली है |इन पार्टियों की हर बात में दोहरा मानदंड और मापदंड अब जनता को समझ में आ गया है लेकिन इन पार्टियों को ये बात समझ में नहीं आ रही | इन्हें अभी भी ऐसा ही लगता है कि , जनता वही देखेगी जो ये दिखायेंगे | इन्हें अब तो इस बात को मान लेना चाहिए कि जनता ने अपने फैसले खुद लेने की आदत डाल ली है | उत्तर प्रदेश या पंजाब या फिर उत्तराखंड में जो कुछ भी हुआ वह उसी का जीता जागता प्रमाण है | हाँ , ये बात अलग है कि कुछ “सेक्युलर ” पार्टियों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जनता अपना विवेक कैसे इस्तमाल कर सकती है | शायद यही वजह है कि अपनी चुनावी हार को वो पचा नहीं पा रही हैं और तमाम अनाप – शनाप आरोप लगाने पर ही जुटी हैं | इनमे सबसे खास है इनका यह बेतुका और आधारहीन आरोप कि ई वी एम् में गड़बड़ी थी | मज़े की बात है कि जब पंजाब में कांग्रेस , बंगाल में तृणमूल कांग्रेस , बिहार में नीतीश – लालू की जीत होती है तो वही ई वी एम् प्रणाली दुरुस्त होती है , और जहाँ भाजपा जीतती है वहां दोष पूर्ण | जहाँ – जहाँ बी जे पी की हार होती है वहां की जनता समझदार , वहाँ का जनादेश सिर – माथे पर और जहां बी जे पी जीती वहां की जनता के विवेक पर प्रशन चिन्ह | अब इसे दोगलापन नहीं तो फिर क्या कहेंगे |
बसपा , आप और राजद सहित जद यू जैसी कुछ पार्टियाँ बिना किसी प्रमाण और आधार के आरोप लगा रही है | इसका साफ़ मतलब यही निकलता है कि चुनाव आयोग की ईमानदारी और निष्पक्षता को ये पार्टियाँ चुनौती दे रही हैं या फिर बदनाम करने की नाकाम कोशिश | नाकाम इसलिए कि , इन हताश – निराश पार्टियों में से किसी के पास भी कोई प्रमाण नहीं है जो उनके दावे या आरोप को आधार प्रदान करे | अगर ऐसा होता तो इन पार्टियों को सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की हिम्मत जरूर होती | मज़े की बात है कि पंजाब में जनता का प्रचंड बहुमत पाकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस भी उन पार्टियों की आवाज़ में आवाज़ मिला रही है | अगर दो मिनट के लिए इसे सच मान लें तो इसका मतलब यह निकलेगा कि पंजाब में जनता ने कांग्रेस को नहीं चुना बल्कि ई वी एम् की गड़बड़ी से उसे जीत मिल गई | क्या कांग्रेस में इतना साहस है कि वह इसे स्वीकार करे | अगर नहीं तो भाजपा की जीत को भी हर प्रान्त में जनता का जनादेश मानकर उसका पूरा सम्मान होना चाहिए | इन तमाम हारी हुई पार्टियों को चाहिए कि अपनी हार के कारणों का ईमानदारी से विश्लेषण करें ताकि भविष्य में उन्हें जनता का भरोसा मिल सके | उन्हें यह समझना होगा कि अब देश की जनता की जरूरतें बदल रही हैं और वो भी काफी तेजी से | सिर्फ ” सेक्युलर – कमुनल ” से अब आप जनता को बेवकूफ बनाने की बात भूल जाएँ | देश की जनता कई दशक तक इस झांसे को झेलने के बाद इसकी असलियत से वाकिफ हो चुकी है | उसे विकास चाहिए , तरक्की चाहिए , खुशहाली चाहिए और बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ने के अवसर चाहिए | पिछले तीन साल में मोदी सरकार की कार्य प्रणाली में देश की जनता को इसकी स्पष्ट झलक मिली है | उन्हें लगने लगा है कि बिना किसी जातीय और धार्मिक भेदभाव के काम करने वाली यह सरकार उनके सपनो को साकार करने का माद्दा रखती है | सिर्फ आधारहीन आलोचनाओं और आरोप से अब भाजपा को रोक पाना नामुमकिन होगा |