धरती के भगवान्

ये हैं धरती के असली भगवान्..
डाक्टर को धरती का भगवान् कहते है अगर यकीन न हो तो इन मासूमो के चेहरे को देखिये इनके चेहरे पर आज मुस्कराहट है..वो धरती के भगवान् की देन है।ये तीनो मासूम जन्म से ही गूंगे और बहरे थे न सुन सकते थे और न बोल सकते थे।घरवाले लाचार थे परेशान थे सबसे बड़ी बाधा थी उनकी गरीबी जिस कारण विज्ञानं और तकनीक भी इनसे महरूम थी।चाहे आरा का आनंद कुमार दुबे हो,जमशेदपुर की सुष्मिता दास हो या जमशेदपुर के रमजान खान हो सभी की एक ही परेशानी थी उनके मासूम गूंगे और बहरे थे तो इलाज के सामने थी उनकी गरीबी।लेकिन आज न सिर्फ इन बच्चो की जिंदगी बदल गई बल्कि इनके घरवालो के चेहरे पर भी सुकून है जानते है क्यों क्योंकि इनकी जिंदगी भी अब बदल गई है।अब ये भी बोल सकते है सुन सकते है।इनकी जिंदगी में आया यह बदलाव देन है धरती के भगवान् की यानि की डॉक्टरों की मेहनत और उनके समर्पण से।जी हां इन मासूमो को पटना के डॉक्टरों की टीम ने दी है नई जिंदगी।दरअसल ..पटना के राजेंद्र नगर में डॉ सत्येंद्र शर्मा के अस्पताल में 25 फ़रवरी को इन बच्चो का ऑपरेशन हुआ था।इस ऑपरेशन का श्रेय जाता है ईएनटी अकादमी एन्ड रिसर्च फाउंडेशन ऑफ़ बिहार को।जिससे जुड़े डॉ राकेश नयन,डॉ सत्येंद्र शर्मा ,डॉ संजीव और डॉ अनुराग की टीम ने जिन्होंने करीब छह लाख रुपये की खर्च वाले इस ऑपरेशन को पूरा करने में कोई आर्थिक समस्या नहीं आने दी।ऑपरेशन से लेकर हर खर्च इनलोगो ने खुद वहन किया और आज ये तीनो बच्चे अपने घर को चले गए।चिकित्सक डॉ राकेश नयन के अनुसार अब इन बच्चो को बोलने की ट्रेनिंग दी जायेगी और ये बच्चे भी आम बच्चो के जैसा बोल और सुन सकते है और एक आम जिंदगी जी सकते है।अब ये बच्चे न तो परिवार और न ही समाज के लिए बोझ होंगे बल्कि अब ये भी हर औलाद की तरह अपने घरवालों की उम्मीदों पर खड़ा उतरेंगे।पटना के इन चिकित्सको को हमारा सलाम है..और उम्मीद करते है चिकित्सा को बिजनेस समझने वालो के लिए एक नजीर साबित होंगे और आम लोगो के लिए भरोसा की “सचमुच डाक्टर धरती के भगवान् है”..
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