पत्थरबाज़ के लिए इतना दर्द …..
कश्मीर के एक पत्थर बाज़ लड़के का वीडियो इन दिनों काफी चर्चा में है | उसके बहाने से कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्ला और विपक्षी नेताओं के साथ साथ तथाकथित मानवाधिकारों के रहनुमा जार -जार आंसू बहा रहे हैं |इन सबको लग रहा है कि भारतीय सेना ने उस ” अबोध और निर्दोष ” युवक के साथ घोर और अक्षम्य अपराध किया है |बड़े मज़े की बात है कि सेना और सी आर पी एफ के जवानों पर पत्थर बरसाने , उन्हें घेर कर बेइज्जत करने वाले और बुरी तरह मारने पीटने वाले कश्मीर के उन युवकों के लिए लोगों के सीने में दर्द उभर आया और देश की रक्षा में अपनी जान देने वाले भारतीय सेना के जवान उन लोगों को मानवता के हत्यारे नज़र आने लगे | दुनिया जानती है की कश्मीर के कुछ गुमराह युवक चंद रुपयों के लिए आतंकवादियों के इशारे पर पत्थरबाज़ बन कर किस तरह देश के दुश्मनों की मदद कर रहे हैं | सेना के जवानों पर पत्थर बरसा कर वे आतंकियों को निकल भागने में मदद करते हैं | ज़ाहिर है ऐसे युवकों को देश भक्त तो कहा नहीं जा सकता और न ही अबोध या निर्दोष |
सेना के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि चुनाव बूथ में सेना के जवानों और वहां डयूटी पर तैनात लोगों को बंधक बना लिया गया था और इस पत्थरबाज़ लड़के को सेना की जीप के आगे जान – बूझ कर एक शील्ड के रूप में इस्तेमाल किया गया ताकि वहां से लोगों को सुरक्षित निकला जा सके और ऐसा हुआ भी | पांच वाहनों में सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया |ये रणनीति का हिस्सा था , जिसमे सेना सफल रही |अब अगर सेना की रणनीति भी उमर अब्दुल्ला बनाना चाहते हैं तो बात और है | जब वे स्वयं कश्मीर के मुख्य मंत्री थे तो पत्थार्बजो की निंदा करते थे और ऐसे लोगों के विरुद्ध सख्त कदम उठाने की बात करते थे लेकिन आज उनके सुर बदल गए हैं |अलगाववादियों की तरह अब्दुल्ला साहब भी भारतीय सेना को कोसने लगे हैं | अब्दुल्ला साहब ये घटिया राजनीति की पराकाष्ठा है |जितनी राजनीति करनी है कीजिये पर भारतीय सेना की प्रतिष्ठा और उसके सम्मान को कम करने की कोशिश कतई मत कीजिये |रही बात विपक्ष की तो उसकी हताशा इन दिनों चरम पर है इसलिए उसे भारत को कमज़ोर करने का प्रयास करने वाले भी सही लगने लगे हैं | मानवाधिकार की बात करने वालों को पहले तो इस शब्द के सही मायने समझने होंगे और फिर यह भी कि इसका लाभ किसी भी सूरत में देश द्रोहियों और मानवता की हत्या करने वालों को नहीं मिलना चाहिए | इसकी आड़ में कसाब या हाफ़िज़ सईद जैसे लोगों को भारत में निर्दोषों की हत्या की इजाज़त नहीं डी जा सकती और न ही देश को बांटने की कोशिश करने वालों का महिमा मंडन होना चाहिए |