प्रभुजी फिलहाल मौजूदा ट्रेनों पर ध्यान दीजिये

 

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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि दस सालों के भीतर देश में हाई स्पीड ट्रेने चलने लगेंगी | इसके लिए उन्होंने छह ग्लोबल कंपनियों से बात भी की है |ऐसी ख़बरें पढने और सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं | यह खबर भी लुभावनी लगी | दस साल बाद भारतीय रेल की और देश के विभिन्न हिस्सों में दौड़ने वाली ट्रेनों की क्या दशा और दिशा होगी फिलहाल उसे योजनाओं की फ़ाइल में छोड़ कर कुछ मौजूदा ट्रेने और उनसे जुडी हकीक़त की बात की जाए तो बेहतर होगा | देश के विभिन्न रूटों पर दौड़ने वाली ट्रेनों का जो हाल वर्तमान में है शायद उसे सुधारने में ही काफी वक़्त गुज़र जाएगा |वो भी तब जब इस दिशा में ईमानदारी के साथ कार्य किया जाएगा | फिलहाल रेलवे और रेलों का जो हाल है उसकी प्रशंशा करना तो दूर ,उस पर संतोष भी व्यक्त करना इमानदारी नहीं होगी |

जब से देश आज़ाद हुआ है शायद ही कोई रेल मंत्री ऐसा आया हो जिसने अपने वादे पूरे किये हों |नई ट्रेने देने , स्पीड में सुधार , साफ़ -सफाई ,सुरक्षा , यात्री सुविधा और समय से ट्रेनों के परिचालन का दावा लगभग सभी ने किया है , पर कोई भी उस पर खरा नहीं उतरा है | अपने कार्य काल को स्वर्णिम बताने वाले रेलमंत्रियों की कमी नहीं | पर इस देश के करोड़ों यात्री जानते है कि , किस – किस ने क्या – क्या किया | ६० और ७० के दशक में हो या फिर ८० या ९० में , बड़े – बड़े वादे , दर्ज़नो नयी ट्रेनों की घोषणा पर धरातल पर कोई नहीं | बहस और कागज़ी आंकड़े सभी के पास मिल जायेंगे | बहरहाल , हम बात कर रहे हैं मौजूदा रेल मंत्री और उनके वादों की जो फिलहाल तो यात्रियों को राहत देने में असमर्थ रहे हैं आराम तो दूर की बात है |सुपरफ़ास्ट ट्रेनों की रफ़्तार पैसेंज़र से ज्यादा नहीं | हर छोटे – बड़े स्टेशनों पर उनका ठहराव | खाने का स्तर वही जो दशकों से चला आ रहा है , साफ़ सफाई का हाल आप कभी भी देख सकते हैं | प्लेटफार्म और ट्रेन के अंदर लगे पंखों में से ६० प्रतिशत ठप्प , सी सी टी वी कैमरे प्रभु के हवाले ( ये बात अलग है की इन सब की खरीद पर करोड़ों का खर्च दिखाना पुरानी प्रथा है जिसका पालन पूरी ईमानदारी से आज भी हो रहा है ), पैंट्री कार के वेंडरों द्वारा यात्रियों से मनमाने पैसों की वसूली , वगैरह – वगैरह | सुरक्षा का आलम यह कि आरक्षित डिब्बों में भी , ए सी डिब्बों में भी कोई बिना आरक्षण के आ सकता , आ जाता है और वो भी बिना किसी रोक – टोक के | यानी , की यात्रियों की सुरक्षा पूरी तरह प्रभु के हवाले | ऊपर वाला प्रभू , दिल्ली में बैठने वाले नहीं | कुल मिलाकर आज भी यात्रा एक जोखम और संघर्ष ही है | सही सलामत अपने गंतव्य तक पहुँच गए तो आप चैन की सांस ले सकते हैं | तो , आदरणीय प्रभुजी ( रेल मंत्री ) पहले वर्तमान को सुधार कर यात्रियों को राहत दीजिये , मौजूदा ट्रेनों की टाइमिंग सुधारिए | गधा और ठेला गाडी बन चुकी सुपर फ़ास्ट ट्रेनों को उनके वास्तविक रफ़्तार पर लाइए फिर कीजिये हाई स्पीड ट्रेनों की बात | हम सब को भी सुनने में अच्छी लगेगी |

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