प्रशांत जी अभी ज्ञान प्रदर्शन ठीक नहीं
प्रशांत किशोर लगता है गांधीजी को थोड़ा ज्यादा ही पढ़ लिए हैं।सवाल ये नही है कि say no to war क्या है और क्यानही है,सवाल ये है कि जब देश आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के मोड़ पर खड़ा है उस स्थिति में आप की क्या भूमिका होती है ?
आप उस लड़ाई को अंतिम परिणति तक पहुंचाना चाहते हैं या फिर देश को पुनः उसी अनिश्चितता के भंवर में छोड़ देना चाहते हैं जिसमें पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद आपके देश के लोगों को मारता रहे , देश को खंडित करने का प्रयास करता रहे ,प्रतिष्ठानों पर बम ब्लास्ट करता रहे और उससे बचाव में सेना और पुलिस मरती रहे ।आखिर आप क्या चाहते हैं?
मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पार्लियामेंट में बोलते हुए सुन रहा था । उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी चुनावी लाभ के लिए देश को लड़ाई में झुकना चाहते हैं। भारत देश के अंदर भी ऐसा एक बहुत बड़ा वर्ग है जो युद्ध नहीं चाहता ।जिसमें अनेक पत्रकारों का उन्होंने नाम लिया। कुछ राजनेताओं के बारे मे भी उन्होंने संकेत संकेत में कहा। और सिद्ध कर्नाड का प्रयास किया कि हम शांति के दूत हैं और नरेंद्र मोदी युद्ध के पैरोकार है। इनकी वही भाषा थी जो भाषा राजदीप सरदेसाई , बरखा दत्त , सागरिका घोष ,कांग्रेस पार्टी और सोशल मीडिया पर कुछ दो टकिये किस्म के विश्लेषक बोल रहे हैं।
अभी गांधी दर्शन पर डिबेट करने का समय नहीं है अभी वक्त यह है कि जिस आतंकवाद से हमारे देश की जनता दशकों से जूझ रही है उसे जड़ से कैसे नष्ट किया जाए इसके बाद जिसको अपने ज्ञान का दर्शन देना हो देता रहे। पूरी जिंदगी पड़ी है । लेकिन यहमाकूलर वक्त नहीं है यह बताने का कि गांधी ने क्या कहा था बुद्ध ने क्या कहा था और वेद में क्या लिखा हुआ है । विश्व के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ गीता में ही कहा गया है युद्ध के मैदान में सोचा नहीं जाता है कौन अपना है और कौन पराया । दुश्मन का अंत ही अंतिम लक्ष्य होता है।
प्रशांत जी को यह पता होना चाहिए महात्मा गांधी ने अपने अहिंसा के सिद्धांत का पालन गीता को अपने बगल में दबाकर किया था गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ मानते थे और गीता में क्या कहा गया है अगर प्रशांत जी ने गीता पढ़ा होगा तो जरूर जानते होंगे ।इस लिये गांधी के नाम पर अनावश्यक दर्शन का प्रदर्शन ठीक नहीं है।
अभी हमें एकमत से सारे मतभेद भूल कर और अपनी तथाकथित बुद्धिजीवीता भूल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय के साथ खड़ा होना चाहिए ताकि इस निर्णयाक घड़ी में हम पुराने आतंकवाद से एवं पाकिस्तान जैसे पागल और मूर्ख दुश्मन से छुटकारा पा सकें।