बिन मोदी सब सुन……………
कांग्रेस के बेहद सौम्य चेहरे वाले प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है की ,” प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं , बल्कि एक संस्था हैं | उनकी भाषा में शिष्टता , औचित्य और अनुशासन होना चाहिए |” बड़ी अच्छी लगी यह बात कि अब कांग्रेस प्रवक्ता ये मान गए कि प्रधानमंत्री एक संस्था हैं | ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस का शासन जाते ही कांग्रेस के लोग इस बात को भूल गए हैं | पर अब लगता है कि उन्हें लोकसभा में प्रधानमंत्री की लगातार दो दिनों की गर्जना के बात यह बात फिर से याद आ गई है | चलिए , देर से ही सही उनकी बुद्धि तो काम करने लगी |
हाँ , सुरजेवाला ने यह भी कहा है कि प्रधानमन्त्री को भाषा की शिष्टता नहीं भूलनी चाहिए | शायद सुरजेवाला को यह पता नहीं की शिष्टता दोनों पक्षों की जिम्मेदारी होती है | प्रधानमंत्री से अनुशासन और और औचित्य पर भी ध्यान देने की तवक्को कांग्रेस प्रवक्ता ने की है | उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री के सन्दर्भ में कुछ कहा जाता है तो कहने वाले को इस बात का इल्म होना चाहिए कि वो किसी पार्टी प्रवक्ता के बारे में नहीं बल्कि भारत के प्रधानमन्त्री के बारे में टिप्पणी कर रहा है | विगत ढाई वर्षों में न सिर्फ कांग्रेस बल्कि लगभग हर विपक्षी पार्टी के नेता या प्रवक्ता जब मोदीजी पर टिप्पणी करते हैं तो ऐसे मानो बाक्सिंग के अभ्यास वाले ‘ गनी बैग ‘ पर घूंसे मार रहे हों | उन्हें न प्रधानमन्त्री पद की गरिमा का ख्याल रहता है और न ही अपनी वाणी या जिह्वा पर लगाम | शायद ही ऐसी कोई गाली हो जिसे थोड़ी सी भाषा बदलकर प्रधानमन्त्री को न दी गई हो | अब तो विपक्ष को प्रधानमंत्री को गरियाने के लिए नए –नए शब्द गढ़ने पड़ेंगे क्यूंकि ज्यादातर गालियों का परिमार्जित ‘ वर्ज़न ‘ तो वो इस्तेमाल कर चुके हैं | वैसे इतना तो सिद्ध हो चुका है कि नरेन्द्र मोदी इस देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं क्यूंकि अपनी सभी सभाओं में विपक्षी नेता उन्हें ही याद करते हैं | जनता में ये भ्रम ज्यादा फैलाने की कोशिश में लगे रहते हैं कि , मोदी ने क्या – क्या नहीं किया | ये बताना भूल ही जाते हैं कि उन्होंने खुद जनता के लिए क्या किया है | बहरहाल , इतना तो प्रमाणित हो चुका है कि मोदी जितने लोकप्रिय अपनों में हैं उससे ज्यादा उनके चाहने और उनके नाम की माला जपने वाले विपक्ष में बैठे हैं | सच , किस्मत हो तो ऐसी |