बुद्धा इंटरनेशनल सर्किट’ की तर्ज पर ‘श्रीकृष्णा इंटरनेशनल सर्किट’

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गीता की बातें निर्विवाद रूप से मौलिक और विश्व को शांति और समृधि की राह दिखने वाली है .ये बात समय समय पर स्पष्ट हुआ है . तिलक ,महात्मा गाँधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक गीता के मुरीद रहे हैं .प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुरुक्षेत्र के बारे में कहा था कि महाभारत के युद्ध स्थल और गीता की जन्मभूमि से जीवन का तत्व ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। यही बात अब पूरे विश्व को समझाने की कोशिश शुरू हो गई है, जिसके तहत कुरुक्षेत्र मेंपांच दिनों तक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव आयोजित किया गया। भाजपा विरोधी 6 से 10 दिसंबर तक चले इस महोत्सव को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा बढ़ाने और सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने वाला बता रहे हैं। जेल में बंद सतलोक आश्रम के विवादास्पद संत रामपाल ने तो इसके विरुद्ध पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कहा  कि धर्मनिरपेक्ष भारत में किसी एक धर्म की पुस्तक को बढ़ावा देना देश की धर्मनिरपेक्षता पर सवालिया निशान है। अलग बात है कि गीता महोत्सव में न केवल सभी धर्मों के विद्वान शरीक हुए बल्कि इसके बारे में अपनी राय भी रखी। उनमें से एक मौलाना कौकब मुजतबा का कहना है कि यह किसी एक धर्म की किताब नहीं, इसमें पूरी दुनिया समाई हुई है।

धर्मयुद्ध लड़े जाने वाले इस स्थान को अंतराष्ट्रीय शोहरत दिलाने की खातिर बौद्ध मतावलंबियों के ‘बुद्धा इंटरनेशनल सर्किट’ की तर्ज पर ‘श्रीकृष्णा इंटरनेशनल सर्किट’ के रूप में विकसित करने की योजना है, जिसका खाका महोत्सव में आए देश के 5।4 जिलों और अमेरिका, कनाडा, रूस, यूके, मॉरीशस आदि बारह मुल्कों के गीता प्रेमियों के बीच रखा गया। समापन पर एक ही समय तकरीबन 25 देशों में पंद्रह मिनट के लिए गीता पाठ कार्यफ्म हुआ। ‘बुद्धा सर्किट’ से बिहार का बोधगया, वैशाली, राजगीर तथा उत्तर प्रदेश का सारनाथ और श्रावस्ती जुड़ा है। भगवान गौतम बुद्ध की जन्मभूमि नेपाल के लुंबिनी में है और वे कपिलवस्तु के राजा थे, इसलिए नेपाल सरकार की सहायता से बुद्धा सर्किट में वे दोनों स्थल भी शामिल हैं। प्रस्तावित ‘श्री कृष्णा सर्किट’ में कुरुक्षेत्र के अलावा हिंदू मान्यताओं में खास अहमियत रखने वाली सरस्वती नदी के उद्गम स्थल यमुनानगर और कैथल के 93 गांवों को रखा गया है। सर्किट से कृष्ण जन्मभूमि मथुरा-वृंदावन को जोडऩे के लिए कुरुक्षेत्र से वहां तक 9 दिसंबर से ‘गीता जयंती एक्‍सप्रेस ट्रेन’ भी चलाई गई है।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा के मुताबिक, ‘केंद्र ने देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों को लेकर ‘स्वदेश दर्शन’ योजना तैयार की है, जिसके तहत नार्थ ईस्ट, हिमालय क्षेत्र एवं भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े इलाकों को अंतरराष्ट्रीय ख्‍याति दिलाने को बतौर ‘सर्किट’ विकसित करना है।’ ‘कृष्णा सर्किट’ पर करीब एक अरब रुपये खर्च होंगे। कुरुक्षेत्र की उपायुक्‍त सुमेधा कटारिया ने बताया कि बजट के हिसाब से ज्योतिसर पर 31.08 करोड़, ब्रह्मïसरोवर पर 38.64 करोड़, सन्निहित सरोवर पर 6.50 करोड़ और बाण गंगा डेवलपमेंट पर दो करोड़ रुपये खर्च होंगे। मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि ‘श्रीकृष्णा सर्किट’ पंजाब के सीमावर्ती गांव से लेकर 150 किलोमीटर में फैला होगा। प्रदेश सरकार ने सरस्वती नदी के विकास, अध्ययन एवं शोध के लिए सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया है। प्रदेश के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी इन प्रयासों से इतने खुश हैं कि उन्हें लगता है, ‘सरस्वती के पुन: जागरण से विरासत को दोबारा स्थापित करने में मदद मिलेगी।’

 

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