मत कीजिए तुलना
आज प्रदेश के एक वरिष्ठ पत्रकार ने दो तस्वीरों की तुलना अपने कुछ शब्दों से की है | एक तस्वीर है लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की और दूसरी है समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की | उन्होंने तुलना करते हुए छोटा सा कैप्शन भी लिखा है कि पटेल ने अपने पुत्र को हमेशा दिल्ली और राजनीति से दूर रखा | एक ही पंक्ति में हमारे पत्रकार मित्र ने दोनों पीढ़ियों के नेताओं की पूरी तस्वीर खींच कर रख दी | अपवाद स्वरुप उस पीढ़ी के एक –आध नेताओं को छोड़ दें तो अन्य ने कभी कुनबे का विस्तार कर अपनी राजनीतिक विरासत को फैलाने और पोषित करने का कार्य नहीं किया | पार्टी कोई भी रही हो ज्यादातर नेताओं ने देश के बारे में पहले सोचा , परिवार के बारे में बाद में |
देश की अधिकांश पार्टियों के नेताओं ने विगत पांच-छह दशक में कांग्रेस और स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरु पर परिवारवाद का पोषक होने का आरोप जम कर मढ़ा है | पर सच तो यह है की इस मामले में इन पार्टियों और नेताओं ने उसी परंपरा को पूरी लगन और मेहनत से आगे बढाने का काम किया है जिसकी वे जमकर आलोचना करते थे या फिर उसे देश के लिए घातक बताते थे | यकीन न आये तो आज की तारीख में देश के उन बड़े – बड़े नेताओं का पुराना भाषण पढ़ लीजिये | मुलायम सिंह यादव , लालू प्रसाद यादव ,एवं करूणानिधि , बड़े- बड़े भाजपाई नेता , बड़े – बड़े वामपंथी नेता सभी इस मामले में एक ही कतार में खड़े नज़र आयेंगे | परिवारवाद आज सभी नेताओं की सर्वोच्च वरीयता बन चुकी है, देश बाद में | ये बात अलग है की अपने भाषणों में अधिकांश ऐसे नेता अपने सभी कृत्यों और कुक्रित्त्यों को देशहित में ही बतातें हैं | कुछ नेताओं को ही अपवाद माना जा सकता है , किसी भी पार्टी को नहीं |