माही ने टीम को जीतने की आदत डाली
भारत का इकलौता ऐसा कप्तान जिसने अपनी कप्तानी में भारत के लिए सभी आई सी सी ट्राफी जीत कर भारत को विश्व क्रिकेट की बुलंदियों पर पंहुचा दिया | मैदान के अन्दर और बाहर अपने अप्रत्याशित फैसलों से क्रिकेट जगत और करोड़ों खेल प्रेमियों को चौकांते रहने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर हम सब को चौंका दिया है | ठीक वैसे ही जैसे ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने टेस्ट टीम की कप्तानी को छोड़ कर किया था | इस बार माही ने वन डे और टी -२० की कप्तानी को अचानक टा- टा कह दिया | सभी को उम्मीद थी कि धोनी आगामी विश्व कप तक वही सीमित ओवर मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी करते रहेंगे , लेकिन उनके मन में शायद कुछ और था | ख़ुशी की बात है की वो अभी एक खिलाड़ी के रूप में टीम से जुड़े रहेंगे | अपने शुरूआती ४ अंतर्राष्ट्रीय मैचों में बल्ले से कुछ न कर पाने वाले माही ने २००५ में जब विशाखापत्तनम में १४८ रनों की पारी खेली तो यह बात साफ़ हो गई थी की लम्बे बालों वाला यह लड़का भारतीय क्रिकेट का भविष्य बदलेगा | माही की यह पारी इसलिए भी खास थी क्यूंकि यह पाकिस्तान के खिलाफ थी जिसके गेंदबाजों का उन दिनों विश्व क्रिकेट में खौफ था | सौरभ गांगुली ने अगर भारतीय टीम में लड़ने का जज्बा भरा तो धोनी ने उसमे जीतने की आदत डाल दी | २००७ में धोनी की कप्तानी में टी-२० जीतकर भारत ने १९८३ के बाद पहली बार सही रूप में सीमित ओवर मुकाबलों में अपनी धाक जमाई | उसके बाद तो क्रिकेट के हर प्रारूप में भारतीय टीम ने अपनी हनक दिखाई | टेस्ट में नंबर वन , वन डे में नंबर वन और टी- २० में भी बेहद सशक्त |
धोनी की कप्तानी में जब भारत ने २०११ में विश्व कप जीता तो यह शानदार उपलब्धि हासिल करने वाले वह भारत के दूसरे कप्तान बने | १९८३ में कपिल देव की कप्तानी में भारत को वर्ल्ड चैम्पियन बनने का गौरव मिला था | इस जीत ने धोनी को भारत के सर्वाधिक सफल कप्तान बना दिया| धोनी की कप्तानी में भारत ने २०१३ में आई सी सी चैम्पियंस ट्राफी जीती | इस तरह धोनी भारत के इकलौते ऐसे कप्तान हो गए जिनकी कप्तानी में टीम ने सभी आई सी सी ट्राफी जीती है |
इन दिनों उनकी नेतृत्व क्षमता पर कई बार प्रश्न उठने लगे थे | माही ने मौके की नजाकत को समझते हुए एक खिलाडी के रूप में टीम से जुड़े रहने का निर्णय लेने में कोई देरी नहीं की | उनकी टक्कर का कोई भी बल्लेबाज़ – विकेटकीपर भारत के पास नहीं है | ३६ वर्ष की उम्र में भी माहि की फिजिकल फिटनेस बेजोड़ है | कीपिंग और रनिंग दोनों कमल की है | एक खिलाडी के रूप में उनका २०१९ वर्ल्ड कप तक भारतीय टीम से जुड़े रहना निश्चित ही टीम के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा और उनका अनुभव कोहली को काफी फायदा पंहुचाएगा | माहि ने भी तीनो प्रारूप के लिए विराट कोहली के नाम की वकालत की है |