प्यार का बाजारीकरण: वैलेंटाइन डे

” मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख्सूस होते हैं , ये वो नग्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता “

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दावा मोहब्बत का है और सहारा बाज़ार का | बात कुछ अजीब सी लगती है | जिस चीज का वजूद ही एहसास की नीव पर हो और जिस मंजिल का रास्ता आँखों से होकर दिल तक आता हो उसमे बाजारू चीजों का क्या काम | बहुत पहले ही किसी शायर ने कहा है कि , ” मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख्सूस होते हैं , ये वो नग्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता “ | लेकिन इस वेलेंटाइन वीक में जिसे देखो मोहब्बत का इज़हार और दावा कर रहा है | इजहारे मोहब्बत के लिए उन्हें बाज़ार का पूरा सहारा मिल रहा है | समझना मुश्किल है की बाज़ार इन प्रेमी – प्रेमिकाओं को सहारा दे रहा है या फिर दुनीया  भर के बाज़ार का वजूद इन प्रेमी – प्रेमिकाओं के दम पर टिका है | दूसरी बात ही ज्यादा सही है | बाजारवाद के इस ज़माने में प्रेम का इज़हार करने के लिए हर चीज बाज़ार में मौजूद है |गुलाब के फूल मंहगे से मंहगे दाम पर , टेडी बियर , किसिम – किसिम के चाकलेट , सैंकड़ो किस्म के गैजेट और न जाने क्या – क्या | रेस्टोरेंट्स और होटलों में टेबल से लेकर हर डिश का नाम ऐसा जो बड़ा ही रोमांटिक और सेक्सी लगे | उस पर मनमाने दाम | जिस प्रेमी की जेब जितनी भारी हुई उसके गर्ल फ्रेंड्स की लिस्ट उतनी ही लम्बी | एक वो भी ज़माना था जब प्यार पर बाज़ार की नज़र नहीं पड़ी थी और जब प्यार करने वाले इसकी नुमाइश को लगभग गुनाह समझते थे | तभी तो गीतकार कुछ इस अंदाज़ के गीत लिखते थे …….प्यार को प्यार ही रहने दो ,कोई नाम न दो | या फिर ….छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा कि जैसे मंदिर में लौ  दीये की | या फिर  कुछ ऐसे …..वो मोहब्बत जो करते हैं वो मोहब्बत जताते नहीं | बहरहाल , ज़माना बदल चुका है हर चीज बाज़ार पर निर्भर है , नुमाइश का ज़माना है | प्यार हो न हो , उसे जताने में कोई कोताही नहीं बरतते हैं आज के युवा और किशोर| जो चीज निहायत निजी और पोशीदा होती थी आज बाज़ार के सहारे चल रही है | किसी ने बिलकुल सच ही कहां  है की अगर आपको मार्केटिंग की कला आती है तो आप किसी भी चीज का बाज़ार खड़ा कर सकते हैं | कम से कम वेलेंटाइन वीक मार्केट्स को देख कर तो ये बात सौ फीसद सच लगती है | मैं तो इतनी ही उम्मीद लगाए बैठा हूँ की वो दिन ज़रूर लौटेंगे जब लोग प्यार जैसे पवित्र और कोमल एहसास को जताने के लिए बाज़ार का सहारा नहीं लेंगे | जब ऐसा होगा तभी संत वेलेंटाइन की आत्मा को सही मायने में शान्ति मिलेगी | उनका सन्देश सही अर्थों में समाज में फैलेगा |

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