योगी जी के विरोध में ओछी राजनीति

 

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उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित योगी सरकार ने काम करना अब शुरू कर दिया है और अभी दो – चार दिन दशक से ज्यादा सत्ता में रहने वाली कांग्रेस और १० और १५ साल शासन करने वाली सपा और बसपा ने हाय – तौबा मचाना शुरू कर दिया | उन्हें इतनी भी सबर नहीं कि जो काम वो बरसों में नहीं कर सके ( या करना चाहा ) उसे करने के लिए भाजपा को कुछ महीने तो दे दें | शयद उन्हें दर है कि जिस ढंग की शुरुआत योगी सरकार ने की है उससे उनके निकम्मेपन की पोल और न खुल जाये |यूं तो कई कदम उठाये जा रहे हैं लेकिन हम यहाँ ज़िक्र करेंगे पुलिस महानिरीक्षक की देख – रेख में गठित और कार्यरत रोमियो पुलिस स्क्वाड की | सड़क छाप मजनुओं पर नकेल कसने के लिए गठित इस स्क्वाड ने रिजल्ट देना शुरू भी कर दिया है | बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी स्कूल – कॉलेज जाने वाने लड़कियों के साथ -साथ नौकरी पेशा महिलाओं और  लड़कियों के नाक में किस कदर दम इन सड़क छाप शोहदों ने कर रखा है इससे हम सभी अछि तरह वाकिफ हैं | कई लड़कियों ने इनकी हरकतों और रोजाना की फब्तियों से तंग आकर अपनी पढाई से तौबा कर ली , घर से निकलना बंद कर दिया लेकिन इन लोगों की हरकतें बंद नहीं हुई | अगर उन लड़कियों के भाई – बाप कभी इनलोगों  को कुछ कहने की हिम्मत करते तो ये सब मिलकर उनकी धुनाई कर देते हैं | अब ऐसे में इनका क्या इलाज़ होता | ऊपर से पुलिस वाले भी इन्ही के पक्ष में खड़े रहते थे | अब सरकार बदली है तो कुछ सखत कदम भी उठाये जा रहे हैं | इस कदम का कांग्रेस , सपा , बसपा ने विरोध शुरू कर दिया | इनकी दलील है की भोले – भाले लड़कों को पुलिस अकारण परेशान कर रही है , सरकारी तंत्र का दुरूपयोग हो रहा है , या फिर सीधे -सीधे भगवाकरण का नाम दे दिया जा रहा है | ये बात अलग है की आम लड़कियों और महिलाओं के बीच काफी समय के बाद एक सुरक्षा और इत्मीनान का भाव दिख रहा है |उन सब ने खुले दिल से इसका स्वागत किया है |

आंकड़े गवाह हैं की उत्तर प्रदेश और बिहार में विगत कुछ वर्षों से इन घटनाओं में इतना इजाफा हुआ है कि मजबूरन लड़कियों ने ख़ुदकुशी तक करना शुरू कर दिया है | यह एक अति संवेदनशील मसला है | इसका हल भी हमें मानवीय नज़रिए से ही निकालना होगा | लड़कियों या महिलाओं को हम किसी राजनीतिक पार्टी के नज़रिए से नहीं देख सकते और न ही धार्मिक नज़रिए से |सभी भारतीय महिलाओं का सम्मान करना और उसकी रक्षा करना बेहद जरूरी है |मुलायम सिंह यादव और आज़म खान जैसे लोग महिला अस्मिता के प्रति कितने संवेदनशील
हैं ये हम सब उनके समय – समय पर आने वाले बयानों से जान चुके हैं | जैसे नीतीशजी ने शराब बंदी कर एक बेहतरीन कदम उठाया है ठीक वैसे ही योगी सरकार का ” एंटी रोमियो “ अभियान भी है जिसे किसी खास आईने से देखने के बजाय महिला सुरक्षा और अस्मिता से जोड़ कर देखने की सख्त जरूरत है | हर चीज का विरोध करना न तो विपक्ष का काम होना चाहिए और न ही इसे लोकतंत्र की संज्ञा दी जा सकती है | उन मुद्दों का समर्थन बेहद जरूरी है जो सामजिक और सार्वजनिक हित के है | अकारण विरोध करने से विरोध की गरिमा समाप्त हो जायेगी |

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