लोढ़ा का हथौड़ा

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जस्टिस लोढा ने बी सी सी आई की कार्य प्रणाली को सुधारने और उसके हुक्मरानों को सुधरने का बहुत मौका दिया और वक़्तके प्रेसिडेंट अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के दोनों की छुट्टी हो गई है | वैसे भी समय – समय पर सिनिअर खिलाडियों द्वारा यह मांग उठाई जाती रही की बोर्ड को अपनी कार्य शैली में बदलाव लाना चाहिए | वर्षों से ऐसी मांगे उठती रही लेकिन बोर्ड के कानो पर जू तक नहीं रेंगती थी | वजह साफ़ थी , उसने हमे भी | बी सी सी आई की कार्यप्रणाली कुछ ऐसी रही है कि उसने खाभी किसी को सूंघा ही नहीं | अब बोर्ड शा अपने आप को देश- क़ानून से ऊपर माना | इस बार भी जस्टिस लोढा और सुप्रीम कोर्ट की तमाम हिदायतों और उसके निर्देशों को बहुत हलके में लेने की भूल की | मना करने पर भी मीटिंग बुलाना ,एक राज्य एक वोट की सिफारिश न मानना , तीन की जगह पांच चयन कर्ताओं को रखना , ७० वर्ष से उपर के पदाधिकारियों को बरकरार रखना और एक व्यक्ति एक पद पर ऐतराज़ जताना बोर्ड और खासकर अनुराग ठाकुर के लिए भरी पड़ गया |
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठा कर ठाकुर और शिर्के की छुट्टी तो कर ही दी साथ ही यह भी साफ़ कर दिया की लोढा समिति की सिफारिशें नहीं मानने पर क्या कुछ हो सकता है | अब बिहार जैसे राज्यों के वर्षों से वंचित खिलाड़ियों को रणजी ट्राफी में खेलने और राष्ट्रीय क्रिकेट की मुख्य धारा से जुड़ने का मौका मिलेगा | हाँ अब बिहार क्रिकेट के मुखिया अब्दुल बारी सिद्दीकी को भी एक पद चुनना पड़ेगा | या तो वोह नीतीश कैबिनेट के मंत्री रहेंगे या फिर बिहार क्रिकेट के मुखिया | वैसे इस बात की संभावना ज्यादा है की वो मंत्री पद ही चुनेंगे क्योंकि ऐसा उनकी पार्टी चाहेगी | बहरहाल भारतीय क्रिकेट में अब एक नया माहौल बनेगा और उसकी कार्य शैली पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी और सभी राज्यों तथा  खिलाडियों के हित में होगी | सभी को एक नै और खुशनुमा बयार का एहसास होगा |

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