विक्रमशिला के तर्ज पर शिक्षण संस्थान विकसित करें : दलाईलामा
बोधगया : विराट न्यूज़ डेस्क
तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु 14 वें दलाईलामा ने कहा कि बौद्ध विहार की स्थापना से ज्यादा महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान की स्थापना व उसे विकसित करने की है। नालंदा-विक्रमशिला के तर्ज पर शिक्षण संस्थान को विकसित करने की जरुरत है । अपने चित को प्रशिक्षित करें तो दिल में विहार स्वत: बन जाता है। मंदिर-मूर्ति बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण अध्ययन करना है। तिब्बत ने एक हजार वर्ष तक नालंदा की परंपरा को जीवंत रखा। भारत-तिब्बत के बीच गुरु-शिष्य का संबंध रहा है। इस नाते भारतीय लोग हमारे गुरु हैं। उक्त बातें दलाईलामा 34 वीं कालचक्र पूजा के समापन संबोधन में कही। बिहार की धरती ने बौद्ध धर्म को बहुत कुछ दिया है। भविष्य में कालचक्र पूजा आयोजित करने का अनुरोध सीएम ने किया है। प्रयास होगा उसे पूरा करेंगे। धर्म परिवर्तन करने की जरूरत नहीं है। बौद्ध धर्म की शिक्षा कभी भी ली जा सकती है। बुद्ध की प्रमुख शिक्षा प्रेम, करूणा व अहिन्सा आज भी प्रसांगिक है। इससे लोगों को लाभ हो रहा है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि मेरे द्वारा कहे गए वचन का पालन करें। हमेशा सुखी व खुश रहने का प्रयास करें। बुद्धभूमि पर आने से निश्चय ही आप सबों को शांति की अनुभूति हुई होगी। घर जाकर विचार में परिर्वतन करें।
तिब्बत की आत्मा व करूणा की प्रतिमूर्ति हैं दलाईलामा : सांग्ये
निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डा. लोबसंग सांग्ये ने कहा कि धर्मगुरु दलाईलामा तिब्बत की आत्मा और करूणा की प्रतिमूर्ति हैं। बुद्ध की भांति उनका संदेश विश्व में फैल रहा है। लेकिन तिब्बत में चीन शासक द्वारा 90 प्रतिशत मंदिरों को नष्ट कर नालंदा परंपरा को मिटाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि यह मेरा 9 वां कालचक्र अभिषेक है। भविष्य में 10 कालचक्र अभिषेक तिब्बत की राजधानी ल्हासा में हो। यह मेरा सपना है। आधुनिक शिक्षा से 60 लाख तिब्बती को शक्तिशाली बनाया है। निर्वासन के बावजूद तिब्बती परंपरा को जीवंत रखा है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि इस कालचक्र से करूणा, मैत्री व प्रेम का संदेश लेकर जाना है। दो सप्ताह तक धर्मगुरु ने जो कहा है उसका अनुपालन करें। उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। और कहा कि सीएम नीतीश कुमार के सानिध्य में यह कालचक्र पूजा संपन्न हुआ। जिला प्रशासन-पुलिस के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन किया। आरबीआई ने पर्याप्त संख्या में एटीएम लगवाए और सजगता से राशि उपलब्ध कराया।
पुराने मित्र हैं नीतीश कुमार : गेरे
वालीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे ने अपने संबोधन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना पुराना मित्र बताया। उन्होंने कहा कि इस पूजा में मैं पश्चिमी देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुआ। यहां आना सौभाग्य की बात है।सबसे बड़ी बात है परम पावन दलाईलामा के संदेश को कई बड़े-बड़े गुरुओं के बीच सुनना। उन्होंने कहा कि यह अच्छा अवसर है बोधगया में भगवान से शिक्षा लेने का। भगवान को देखकर हमलोग पूर्ण रूप से शुद्ध हो गए। धर्मगुरु द्वारा करूणा, प्रेम व मैत्री का ज्ञान मिला। निश्चय ही इससे प्रेरणा मिलेगी, आत्मविश्वास बढ़ेगा।
30,43,27,378 रुपये हुए खर्च
34 वीं कालचक्र पूजा में 30 करोड़, 43 लाख 27 हजार 378 रुपये कुल खर्च हुए। इस पूजा के लिए आयोजन समिति को इतना राशि प्राप्त हुई थी, इसमें आयोजनकर्ताओं का योगदान 8,05,34,253 रुपये का है। उसे बाद दान संग्रह राशि 15,57,47,426 रुपये प्राप्त हुए और शेष राशि अन्य स्त्रोतों से प्राप्त हुए। उक्त घोषणा स्वागत भाषण के पश्चात आयोजन समिति के अध्यक्ष लामा कर्मा ने की। अध्यक्ष लामा कर्मा व उपाध्यक्ष वांग्चुक ने खर्च का ब्योरा देते हुए कहा कि 10 करोड़ 8 लाख पूजा में शामिल भिक्षु-भिक्षणी संघ के बीच वितरित किया गया। 10 लाख बिहार के मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में , 10-10 लाख जिला प्रशासन व मगध विश्वविद्यालय प्रशासन को तथा 2-2 लाख रुपये एसएसपी व नगर पंचायत को दिया गया। शेष राशि प्रार्थना पुस्तिका प्रकाशन, प्रचार-प्रसार, स्वास्थ्य, ध्वनि विस्तार यंत्र, बिजली, पानी, आवासन सुविधा, यातायात आदि पर व्यय किए गए।