सरदार तो ईमानदार है पर ……
ऐसा कैसे हो जाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश बिहार कुमार सहित उनके तमाम मंत्रियों ने अपनी चल- अचल सम्पति का ब्यौरा जनता के सामने रख दिया है | ब्योरों को देख इन कर हर किसी को रहत मिले ऐसा नहीं है | कुछ लोगों को काफी हैरानी भी है कि ईमानदारी पर नीतीशजी तो उनका बड़े से बड़ा विरोधी और आलोचक भी ऊँगलीनहीं उठा सकता | लम्बा राजनैतिक जीवन एक रहा है उनका पर कमाई के गलत रास्तों का इस्तेमाल उन्होंने कभी नहीं किया | उनके बाकी सहयोगी लेकिन उतने ही ईमानदार हैं इस पर सहज विश्वास करना ज़रा मुश्किल है | ब्यौरा आधा है उनका या पूरा इस पर भी सवालिया निशान लग सकता है और वो जांच का विषय भी हो सकता है | मुख्या कारण यह इसका है कि यहाँ से दिल्ली तक ऐसे राजनीतिज्ञों की एक लम्बी फेहरिस्त है जिन्होंने कमाई के कीर्तिमान स्थापित किये हैं |
वो जनता द्वारा जब व्हुने जाते हैं उस वक्त उनकी कमाई हजारो या 4 5 लाख तक सीमित होती है, लेकिन 5-7 के अन्दर ही साल उनकी हैसियत आसमान पर पहुँच जाती है | करोडपति या फिर वे अरबपति हो जाते हैं | यकीन न आए तो विधान सभा से लेकर संसद तक पूरी लिस्ट पर नज़र डाल लीजिये | जनता निश्चित ही आम वो वह आर्थिक फार्मूला जानने को उत्सुक रहती है जिसकी बदौलत ज्यादातर विधयाकों व सांसदों की आर्थिक हैसियत चंद वर्षो में से ही फर्श अर्श (आसमान) पर पहुँच जाती है |
Click here to Reply or Forward |