सर्दी का सितम
इन दिनों बिहार शीतलहरी ,बर्फीली हवाओं और जोरदार कनकनी की चपेट में है. शायद लेह , उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में हो रही जोरदार बारिश और बर्फ़बारी ने देश के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले रखा है.बिहार में भी उसका जोरदार असर देखने को मिल रहा है.राजधानी पटना हो या गया,भागलपुर या दरभंगा , पूर्णिया या फिर मुज्जफरपुर . लगभग हर जिला कोहरे की चपेट में है.सुबह शाम तो कोहरे और बर्फीली हवाओं ने लोगों की दिनचर्या ही बिगाड़ दी है.उपर से शाम ५-६ बजे से जो कोहरे की चादर पड़ जाती है वह सुबह ९-१० बजे तक लोगों को परेशां रखती है .रही हैं रात में तो कोहरा इतना बढ़ जाता है कि ‘हाथ को हाथ नहीं सूझता’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है.सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गई है. ट्रेनें फिर घंटों लेट चल रही हैं और रद्द भी हो रही हैं. विमानों का आना जाना भी अनिषित हो रहा है . इस सर्दी के सितम को टक्कर दे रहा है तो लोगों का जोश; जुनून और गरीबों की मदद करने का उनका जज्बा .
राज्य सरकार ने जगह – जगह अलाव जलवाने के साथ गरीबों में कम्बल बंटवाने में कोई कोर कसर नहीं उठा रखी है .सामाजिक, राजनैतिक और व्यतिगत स्तर पर भी गरीबों को ठण्ड से बचाने की हर संभव कोशिश जारी है .ज्यादातर स्कूलों को ५ जनवरी तक बंद कर दिया गया है .इस मौसम में पर्याप्त कपडे पहनने और हर संभव एहतियात की जरुरत है . खास तौर पर बुजुर्गों और बच्चों को ठंढ से जरुर बचाएं .वैसे इस मौसम में खाने के लिए ढेरों ऐसी चीजें मिलती हैं जिनका लुत्फ़ भी उठाइए और सर्दी से बचाव में उनकी मदद भी लीजिये .इन सब की जानकारी घर के बड़े बुजुर्गों से और अपने डाक्टर से जरुर लीजिये .
वैसे ऐसी सर्दी का एक और भी पहलू है लेकिन उसकी चर्चा फिर कभी .