सर चढ़कर बोला मोदी का जादू

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पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव का फैसला आ चुका है और एक बार फिर यह साबित हो चुका है की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू बदस्तूर बरकरार है | इन पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिणाम सर्वाधिक महत्व पूर्ण माने जा रहे थे | और इन दोनों ही राज्यों में मोदी के आगे उनके सभी प्रतिद्वंदी बौने साबित हुए |कल तक एग्जिट पोल को नकारने वाले राहुल गाँधी , अखिलेश यादव और मायावती को उत्तर प्रदेश की जनता ने जिस तरह नकारा है उससे यह प्रमाणित हो गया की २०१४ में मोदी के नाम पर इस प्रदेश के वोटरों ने जो प्रचंड बहुमत लोकसभा चुनाव में दिया था उसमे कहीं से कोई कमी नहीं आई है | इतनी बड़ी सफलता तुक्का नहीं हो सकती | ३२४ सीटें इस बात पर मुहर लगाने के लिए पर्याप्त हैं कि गरीबों – दलितों , मध्यम वर्गीय , व्यापारी वर्ग और किसानो के बीच अभी भी मोदी ही देश में एक मात्र चेहरा हैं जिन पर लोग अटूट विश्वास करते हैं | अखिलेश की समाजवादी पार्टी न सिर्फ सत्ता से बेदखल हो गई बल्कि उसे मात्र ५५ सीटों से संतोष करना पड़ा | उनके १५ दिन पूर्व बने जोड़ीदार राहुल गाँधी तो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके जिसकी वज़ह से सपा गठबंधन को ५५ पर सिमट जाना पड़ा | चुनाव से पहले घूम – घूम कर एक धर्म विशेष के आकाओं से आशीर्वाद  लेन वाली बहन मायावती का तो हाल सबसे बुरा हुआ \ उन्हें मात्र १९ सीटों पर सिमट जाना पड़ा | हांलाकि उन्होंने वोटिंग के लिए प्रयोग की जाने वाली ई वि एम् मशीन में ही गड़बड़ी का आरोप लगा कर अपनी चरम पर पंहुंच चुकी हताशा को ज़ाहिर भी कर दिया है | उन्हें यह भी हैरानी है  कि मुस्लिमो को टिकट न देने के वावजूद भाजपा उन क्षेत्रों में भी कैसे जीत गई जो मुस्लिम बाहुल्य थे | मायावती के आरोप का समर्थन करते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा है कि ” ई वी एम् मशीन गुजरात से आती है अतः इस मामले की जांच होनी चाहिए ” | अब लालूजी को कौन बताये की बिहार चुनाव में भी ये मशीने वहीँ से आई थी और उसमे भाजपा की जबर्दश्त हार और लालू जी की जबर्दश्त जीत हुई थी |

बहरहाल ,उत्तरप्रदेश का जनादेश कितना महत्व पूर्ण होता है  औरिराष्ट्रिय राजनीति की दशा और दिशा यहाँ से कैसे निर्धारित  होती है ये बातें सभी राजनीतिक पार्टियाँ और नेता अच्छी तरह जानते हैं | अब राज्यसभा में भी एन डी ए और मजबूत हो जाएगी |आरोप प्रत्यारोप अब लगते रहेंगे लेकिन अब उसे हारने वाली पार्टियों की हताशा और निराशा से ज्यादा नहीं माना जाएगा |बेहतर होगा की पराजित होने वाली पार्टियाँ अपना आंकलन पूरी ईमानदारी से करें और अपनी चूक का जायजा लें |उत्तराखंड का जनादेश कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है | ये बात अलग है कि कांग्रेस इसका श्रेय बी जे  पी को नहीं देना चाहती |उसका कहना है कि यहाँ तो हर पांच साल में सरकार बदल ही जाती है | कांग्रेस कुछ भी कहे ,पर बी जे पी को ५७ और कांग्रेस को महज ११ सीट साड़ी कहानी कह देती है | गोवा में बी जे पी को थोडा नुक्सान हुआ है लेकिन मणिपुर में बी जे पी विगत चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी थी और इस बार उसने २१ सीटें जीत लीं |अभी गोवा और मणिपुर में सरकार गठन के लिए जोड़तोड़ जारी है | क्यूंकि आगे रहने के बाद भी कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में बहुमत नहीं मिला है |गोवा में उसे १७ और मणिपुर में २६ सीटें मिली है , जो बहुमत से दूर है | वैसे मणिपुर में पिछले १५ सालों से कांग्रेस की ही सरकार थी |पंजाब में निश्चित रूप से कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर से ज्यादा रहा है |वहां उसे ७७ सीटों पर सफलता मिली है जो स्पष्ट बहुमत से बहुत ज्यादा है | बादल सरकार को उसकी खामियों की सजा जनता ने भरपूर डी है जो बहुत ज़रूरी था ,फिर भी वह १८ सीट जीतने में सफल रही जिसे उम्मीद से ज्यादा ही कहा जाएगा | इस राज्य में सरकार बनाने का दावा करने और दो तिहाई बहुमत से जीतने का दावा करने वाली केजरीवाल की आप  पार्टी की हवा निकल गई | उसे मात्र २० सीट मिली |

इन चुनाव परिणामो के बाद नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता पर जनता की जबर्दश्त मुहर लग गई है | उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के परिणाम ने यह भी स्पष्ट सन्देश दे दिया है की नरेद्र मोदी का कोई विकल्प फिलहाल २०१९ के लोकसभा चुनाव तक तो कोई नहीं | न कोई चेहरा है और न कोई पार्टी जो एन डी ए को टक्कर दे सके | इसलिए अब सभी को २०२४ के आमचुनाव की  तैय्यारी करनी चाहिए २०१९ तो २०१४ वाला ही परिणाम लेकर आनेवाला है इस बात p

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