हार के बाद ही जीत है
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मौजूदा टेस्ट श्रृंखला का दूसरा टेस्ट कल से बंगलुरु के एम् चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाएगा | पुणे में खेले गए श्रृंखला के पहले टेस्ट में जो कुछ हुआ वह अकल्पनीय था | इसलिए नहीं की भारत पहले कभी इस तरह हारा नहीं बल्कि इसलिए कि ,भारतीय टीम की जो मौजूदा फार्म है और जिस तरह से उसने इंग्लैंड और बंगलादेश को हराया था उसे देखते हुए भारत के विरुद्ध कंगारुओं की इतनी शानदार सफलता का अंदाजा किसी को नहीं था | खुद कंगारू टीम भी पुणे की जीत से जहाँ बेहद खुश थी वहीँ अचंभित भी |
बहरहाल , पुणे अब अतीत है और बंगलुरु वर्तमान और भविष्य | हार – जीत खेल का हिस्सा है ये हम सभी अच्छी तरह जानते हैं | हम ये भी जानते हैं कि , क्रिकेट शानदार अनिश्चितताओं का खेल है | चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच स्पोर्टिंग पिच होगी | इसके ऊपर से घास हटा दी गई है | बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों के लिए बराबरी का मौक़ा होगा |उम्मीद के मुताबिक पिच मैच के तीसरे दिन से टर्न लेगी और स्पिनर्स के लिए अच्छा मौक़ा होगा |फिर भी भारतीय टीम को बिना किसी दबाव के खेलना होगा और अपनी फील्डिंग चुस्त रखनी होगी | पुणे में भारतीय टीम की खराब फील्डिंग का भरपूर फायदा मेहमान टीम को मिला था |हमें उम्मीद करनी चाहिए कि पुणे की गलतियों से हमारी टीम दूर रहेगी और किसी भी सूरत में उसे नहीं दोहराएगी |
बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही हमारी टीम न सिर्फ संतुलित है बल्कि सशक्त भी | इस बात को कंगारू भी अच्छी तरह जानते हैं |मुरली विजय ,चेतेश्वर पुजारा , अजिंक्य रहाणे और कप्तान विराट कोहली हर स्थिति में शानदार खेल दिखाने में सक्षम हैं | विकेट कीपर साहा और आर आश्विन भी किसी से कम नहीं | अनेक मौकों पर हमारे पुछल्ले खिलाडी भी टिकते रहे हैं | रविन्द्र जडेजा से भी काफी उम्मीद रहती है | उनके पास अनुभव भी है और पेशेवर नजरिया भी | हमारे सीमर्स भी बेहतर करने में पूरी तरह सक्षम हैं और कई मौकों पर वे इसे साबित भी कर चुके हैं | कोच अनिल कुंबले अपने ज़माने में इसी मैदान और पिच पर खेल कर बड़े हुए हैं | उनके पास लम्बा अनुभव है जो टीम के काम आएगा |
दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया टीम भी बेहद संतुलित है और पुणे टेस्ट जीत कर उसके गेंदबाजों ने अपने को सिद्ध भी किया है | पहली बाज़ी जीत कर उनका हौसला बुलंद है और उसका मनोवैज्ञानिक लाभ भी वो अवश्य उठाना चाहेंगे | इसके बावजूद स्मिथ एंड कम्पनी भारत को हलके में लेने की गलती नहीं करेगी | अनेक ऐसे मौके आये हैं जब भारत ने हार के अवसाद को पीछे छोड़ते हुए शानदार जीत हासिल की है क्यूंकि उसे अच्छी तरह मालूम है कि ,” हार के बाद ही जीत है ” | कोहली वैसे भी झुकना और रुकना नहीं जानते | हार के जबड़े से जीत छीन लेना उन्हें बखूबी आता है |