संपादकीय
नोटबंदी को लेकर समाज में तरह तरह की बातें फ़ैल या फैलाई जा रही है .इनमे से अधिकांश बातें अफवाह ही साबित हो रही है .मसलन अब लाकर होगा सीज .एक अप्रैल से आप अपने जमीन या मकान के मालिक नहीं रह जायेंगे .एक साल तक अपनी जमीन बेच नहीं पाएंगे वैगेरह वैगेरह .ये सारी बातें सोशल मीडिया पर ही हो रही है .जब विभिन्न समाचार एजेसियों द्वारा इसकी पड़ताल की जाती है तो वह झूठा या manupulated सिद्ध होता है .ये ठीक बात नहीं है .ऐसे शरारती तत्वों पर शिकंजा कसना जरुरी है .इन्ही तरह की बातों के कारण सोशल मीडिया की विश्वसनीयता संदिग्ध होती जा रही है .
नोटों की कमी बाज़ार में है .सरकार भी नोटों की पर्याप्त आपूर्ति कर पाने में सक्षम नहीं लग रही है . अरुण जेटली ने भी कहा कि स्थिति होने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा . छोटे और मझोले व्यवसाइयों की स्थिति ज्यादा ख़राब होते जा रही है . इस पर सरकार को ध्यान देने की जरुरत है .खेती का समय है ,खाद और बीज की भी किल्लत हो रही है .अगर यही स्थिति जारी रही तो रबी का उत्पादन प्रभावित हो सकता है जिसका अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा .बिपक्ष को दलगत भावना से ऊपर उठ कर समस्याओं के समाधान हेतु सरकार का साथ देना चाहिए .ये सामान्य काल नहीं है वरण संकट की घडी है .देश रहेगा तभी हम झगड़े भी कर पाएंगे .