लेटर बम से प्रशासनिक महकमे में हडकंप
बिहार के पुलिस और प्रशासनिक महकमे में इन दिनों “लेटर बम “ से सनसनी है. एक लेटर आईजी ने लिखा है जबकि दूसरा लेटर एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी ने लिखा है .दोनों ही खत व्यवस्था की पोल खोलती है .बिहार पुलिस के एक आईजी ने जहा अपने से बड़े एडीजी स्तर के अधिकारी पर सनसनीखेज आरोप लगाये है वही आइएएस अधिकारी ने सरकार और सूबे की पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये है . इन दोनों खतो के मिलने से महकमा के अधिकारी पसोपेश में है. आईजी स्तर के अधिकारी जहा एक चर्चित जाँच से खुद को अलग करने की मांग कर रहे है जबकि एक मामले में घिरे आई ए एस उक्त मामले की जाँच सीबी आई से करने की मांग कर रहे है .
.बिहार में महागठबंधन की सरकार में जहा राजनीतिक उथल पुथल अपनी जगह है लेकिन प्रशासनिक और पुलिस महकमा में भी सब कुछ आल इज वेल नहीं है . सबसे पहले हम बात करते है पटना के एक चर्चित सेक्स स्कैंडल का . पटना के एक प्रमुख उद्योगपति के खिलाफ एक पूर्व मंत्री की बेटी ने यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था इस मामले की जाँच सी आई डी के अनुसूचित जाति जन जाति कोषांग कर रहा था . कोषांग के आईजी अनिल किशोर यादव के निर्देश पर जाँच चल रही थी.इस मामले में उद्योगपति और उसके पिता और भाई की भी गिरफ़्तारी हुई लेकिन जैस एही इस मामले में एक नेता का नाम आया सी आई डी के एडीजी विनय कुमार ने उसकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा दिया . नाराज आईजी ने इस मामले पर उन्नीस पेज का पत्र अपने एडीजी को लिख दिया .इस पत्र में एडीजी के कई निर्देशों पर आईजी ने सवाल उठाया है साथ ही कई गंभीर आरोप भी लगाग्ये है . आईजी ने अपने पत्र में एडीजी पर गंभीर आरोप लगते हुए लिखा है की एक पक्ष को फायदा पहुचाने के लिए एडीजी द्वारा जो किया गया है उससे पीडिता दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है .आईजी के पत्र के बाद हडकंप मचा है क्योंकि आईजी के इस रिपोर्ट के बाद तेज तर्रार और बेदाग समझे जाने वाले एडीजी साहब पर कई सवाल उठने लगे है।हालांकि एडीजी ने आईजी की रिपोर्ट को ही अवैध बता पल्ला झाड़ लिया है लेकिन जो सवाल उभरे है वो जस के तस है।
आईजी के लेटर के बाद एडीजी जहा सवालो के घेरे में है वही दूसरी तरफ आईजी ने एक और खत गृह विभाग को भेजा है जिसमे इस चर्चित मामले की जाँच के लिए पुलिस मुख्यालय से अलग एक पांच सदस्यीय कमिटी बनाने की मांग की है जिसमे एक महिला आई पी एस अधिकारी ,एक रिटायर अधिकरी और रिटायर जज को शामिल करने की मांग की है .आईजी अनिल किशोर यादव ने न सिर्फ खुद को बल्कि अपने एडीजी विनय कुमार और डीजीपी पी के ठाकुर को भी इस जाँच से अलग रखने की मांग किया है .हालाँकि पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में अपनी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है .
.हालाँकि दूसरा मामला भी कम रोचक नहीं है .यह मामला बिहार के एक चर्चित आई ए एस अधिकारी सी के अनिल से जुड़ा है . बी एस एस सी प्रश्न पत्र लिक मामले की जाँच कर रही एस आई टी ने आयोग के सचिव परमेश्वर राम और अध्यक्ष आई ए एस अधिकारी सुधीर कुमार को गिरफ्तार किया था . लेकिन एस आई टी ने आयोग के ओ एस डी सी के अनिल को भी दो बार नोटिस भेजा था . वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी सी के अनिल के बारे में एस आई टी का दावा है की अध्यक्ष और सचिव की गिरफ़्तारी के ओ एस डी के रूप में सी के अनिल ने घोटाले से जुड़े सबूत को मिटने की कोशिश की है .एस आई टी द्वारा पूछताछ के लिए दो बार सी के अनिल को नोटिस दिया गया लेकिन न तो वो सामने आये और न ही कोई जवाब दिया . यही नहीं विभाग से भी वो लगातार अवकाश पर चल रहे है .एस आई टी ने सी के अनिल के खिलाफ कारवाई करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है .
जबकि दूसरी तरफ सीके अनिल ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ ही केंद्रीय मंत्री जीतेन्द्र सिंह को पत्र लिख कर बी एस एस सी मामले की सीबी आई जाँच करने की मांग की है .पत्र की एक कॉपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजी है जिसमे लिखा है की एस आई टी से उन्हें खतरा है. सी के अनिल ने पत्र में लिखा है की इस मामले की जाँच सीबी आई से कराइ जाए .पत्र में एस आई टी पर गंभीर आरोप लगते हुए सी के अनिल ने कहा है की एस आईटी जानबूझकर उन्हें फसाना चाहती है जबकि उनका इससे कोई लेना देना नहीं है . सी के अनिल ने न सिर्फ एस आईटी बल्कि सीएम नीतीश कुमार बल्कि उनके विशेष सचिव चंचल कुमार पर भी गंभीर आरोप लगाये हैं .सी के अनिल ने लिखा है की वो मेडिकल लिव में है लेकिन उनकी छुट्टी को मंजूरी नहीं दी जा रही है
.इससे पहले भी आईएएस सीके अनिल के एक पत्र से सरकार में हड़कम्प मच गया था । अनिल ने अकाउंटेंट जनरल को लिखे अपने पत्र में कहा है कि बिहार सरकार ने नियमों की धज्जी उड़ाते हुए तीन अफसरों को प्रोमोशन दिया है। ये तीनों अफसर 1992 बैच के हैं। अनिल ने पत्र में कहा है कि प्रधान सचिव पदपर प्रोमोशन के लिए न्यूनतम 25 साल की सेवा पूरी करना जरूरी है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।