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लाखों नियुक्तियों के जरिए रोजगार और विकास का संकल्प

बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में नई सुबह: लाखों नियुक्तियों के जरिए रोजगार और विकास का संकल्प

# बिहार में शिक्षा के शिल्पकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार में 2023-24 को शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाने वाले साल के रूप में याद किया जाएगा। यह साल न केवल लाखों युवाओं को रोजगार देने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि शिक्षा के स्तर को सुधारने और राज्य की छवि को देश-विदेश में सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने के लिए भी मील का पत्थर साबित हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में, बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण प्रयास किए हैं, जो पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं।
\1. शिक्षक नियुक्ति में ऐतिहासिक उपलब्धियां
सबसे बड़ी शिक्षक बहाली: रोजगार और शिक्षा की नई दिशा
बिहार सरकार ने नवंबर 2023 में 1,20,336 नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए, जो आजाद भारत के इतिहास में सबसे बड़ा शिक्षक भर्ती अभियान है। इस प्रक्रिया में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए कुल 70,545 प्राथमिक शिक्षक, 26,089 माध्यमिक शिक्षक, और 23,702 उच्च माध्यमिक शिक्षक नियुक्त किए गए। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में रिक्त पदों को भरा गया और शिक्षा का स्तर सुधारने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इस बहाली प्रक्रिया में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की भागीदारी ने इसे निष्पक्ष, पारदर्शी और तेज बनाया। पहली बार BPSC ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित की, जिसमें कुल 8 लाख आवेदन प्राप्त हुए। खास बात यह रही कि इन आवेदकों में से 39% आवेदन दूसरे राज्यों से थे, जिनमें उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, और बंगाल जैसे राज्यों के अभ्यर्थी शामिल थे। यहां तक कि ओमान और कतर जैसे देशों के उम्मीदवार भी इस प्रक्रिया में शामिल हुए।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम
इस शिक्षक नियुक्ति अभियान में 48% महिलाएं चुनी गईं, जिनकी औसत उम्र 20 से 24 वर्ष है। इससे बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिला शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह कदम न केवल रोजगार प्रदान करने के लिए है, बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देता है।
ग्रामीण शिक्षा का पुनरुत्थान
नवनियुक्त शिक्षकों में से 66,000 से अधिक को ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में तैनात किया गया है। इससे गांवों के सरकारी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार हुआ है। पहले जहां ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में 60% से अधिक पद खाली थे, अब वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सपना साकार हो रहा है।
2. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार: शिक्षा के शिल्पकार
शिक्षा सुधारों के वास्तुकार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा को राज्य के विकास का केंद्रबिंदु बनाया है। “सात निश्चय” योजना के तहत, उन्होंने राज्य में स्मार्ट क्लासरूम, इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी, और डिजिटल लर्निंग सुविधाओं की शुरुआत की है। इससे बिहार के छात्रों को आधुनिक शिक्षा का लाभ मिल रहा है।
पलायन रोकने की दिशा में बड़ा कदम
बिहार, जो कभी रोजगार के लिए युवाओं के पलायन के लिए जाना जाता था, अब रोजगार सृजन का केंद्र बन गया है। बिहार के शिक्षक भर्ती अभियान ने 14 राज्यों के युवाओं को नौकरी के लिए आकर्षित किया, जिसमें 12% अन्य राज्यों के उम्मीदवार सफल रहे। यह न केवल बिहार की छवि को सुधारता है, बल्कि राज्य की शिक्षा और प्रशासनिक संरचना की मजबूत नींव को भी दर्शाता है।
शिक्षा में लैंगिक समानता का प्रयास
महिलाओं को प्राथमिकता देने के मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण ने “साइकिल योजना” से लेकर महिला शिक्षकों की बड़ी संख्या में नियुक्ति तक का सफर तय किया है। यह न केवल महिलाओं को सशक्त बनाता है, बल्कि समाज में समानता और समरसता को भी बढ़ावा देता है।
पहली बार नियुक्ति प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव
डोमिसाइल नीति को समाप्त कर, नीतीश कुमार ने पहली बार पूरे देश के युवाओं को बिहार में नौकरी का मौका दिया। इस फैसले ने रोजगार के क्षेत्र में बिहार को अग्रणी राज्य बना दिया है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़े कदम
छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार
2010 में बिहार के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 63:1 था, जो 2024 में घटकर 35:1 हो गया है। इस सुधार ने न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की है, बल्कि स्कूलों में शिक्षा के प्रति अभिभावकों और छात्रों के विश्वास को भी बढ़ाया है।
आधारभूत संरचना में सुधार
सरकार ने राज्य के स्कूलों में 90% से अधिक स्कूलों में बिजली, शुद्ध पानी और शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसके अलावा, 12,000 नए स्कूल भवन बनाए गए हैं और हजारों स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण किया गया है।
छात्रवृत्ति और अन्य योजनाएं
साइकिल योजना, वर्दी वितरण और छात्रवृत्ति कार्यक्रम ने विशेष रूप से छात्राओं को स्कूल में बनाए रखने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। 2005 में जहां केवल 1.5 लाख लड़कियां स्कूल जाती थीं, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 9 लाख से अधिक हो गई है।

शिक्षा और रोजगार: बिहार का बदलता चेहरा
बिहार सरकार का शिक्षक बहाली अभियान राज्य में रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। 2024 के अंत तक एक लाख और शिक्षकों की नियुक्ति का लक्ष्य सरकार ने रखा है। इससे राज्य के युवाओं को नौकरी के नए अवसर मिलेंगे और शिक्षा का स्तर और ऊंचा उठेगा।
देशभर में बिहार की बदली छवि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि यह बहाली अभियान राज्य की बदलती छवि का प्रतीक है। सेना, रेलवे, बैंक और बड़ी कंपनियों की नौकरियां छोड़कर लोग बिहार में शिक्षक बनने आए हैं। इससे यह साबित होता है कि बिहार अब शिक्षा और रोजगार के लिए आदर्श राज्य बन रहा है।
महिला सशक्तिकरण और शिक्षा में सुधार
महिलाओं को प्राथमिकता देने के मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण ने शिक्षा क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिला शिक्षकों की बढ़ती संख्या ने छात्रों में सकारात्मक प्रभाव डाला है।
निष्कर्ष: बिहार का भविष्य उज्ज्वल है
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे पूरे देश के लिए एक मिसाल हैं। शिक्षक बहाली अभियान ने राज्य को न केवल लाखों युवाओं को रोजगार प्रदान किया है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को भी एक नई दिशा दी है।
बिहार का यह प्रयास साबित करता है कि जब नेतृत्व मजबूत हो और नीतियां सही दिशा में बनाई जाएं, तो बदलाव संभव है। राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में शिक्षा के स्तर में सुधार, रोजगार के अवसरों का सृजन, और सामाजिक समरसता के प्रयास, यह सब मिलकर बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर कर रहे हैं।
आज का बिहार केवल अपने अतीत की कहानियों तक सीमित नहीं है, यह भविष्य की आशाओं और संभावनाओं का प्रदेश बन गया है। नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम कर रहा है। 2023 को शिक्षक बहाली का साल कहना, वास्तव में बिहार के सुनहरे भविष्य की शुरुआत का प्रतीक है।

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