अभयानंद के सुपर ३० का भी जलवा बरकार
पढाने का जुनून हो, कुछ अलग करने का जुनून हो तो वक्त की कमी तो बस बहाना है। आइजी अंकल के नाम से मशहूर बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद को भी एक एेसा ही जुनून है- बच्चों को पढाना और आइआइटी की तैयारी कराना।
इस साल भी उनके द्वारा देश भर में संचालित सुपर 30 से 51 बच्चों को आइआइटी की परीक्षा में उत्तीर्णता हासिल की है। वे कहते हैं जब बच्चों का रिजल्ट आता है तो उनको एसे खुशी महसूस होती है जैसे उनका खुद का रिजल्ट आया हो।अभयानंद बताते हैं कि इस बार रहमानी सुपर थर्टी के अलावा बिहार में मगध सुपर 30 और अभ्यानन्द सुपर 30 चलाया जा रहा है जिसमे 51 बच्चो ने आई आई टी एडवांस के लिए उत्तीर्ण किया है।
अभ्यानन्द का मानना है कि हर समाज के लोग यह कोशिश कर रहे हैं बच्चे पढ़ें। उन्हें यह समझ में आ गया है कि यह सरकार के बूते की बात नहीं। समाज की मदद से ही आंकड़ा बढ़ रहा है। यह अच्छा है।बिजी शिड्यूस से वक्त निकालकर प्रसिद्ध गणितज्ञ आनंद कुमार के सुपर-30 में फिजिक्स पढ़ाना शुरू किया। वहां बच्चे उन्हें आइजी अंकल कहते थे।बच्चे आज भी अभ्यानन्द के फिजिक्स पढ़ाने के स्टाइल से काफी खुश है।
अभ्यानन्द के कारण सुपर-30 आइआइटी को रिकार्डतोड़ सफलता मिली। फिर कुछ कारणों से अभयानंद सुपर-30 से अलग हो गए और इसी साल आइजी अंकल के पढाने के जुनून के कारण ही रहमानी सुपर 30 की स्थापना हुई। इसके बच्चे हर साल आइआइटी में अपनी सफलता का परचम लहराते रहे हैं।बच्चो की माने तो अभ्यानन्द केवल पढ़ाते नही बल्कि एक खास अंदाज में समझाते है जो मस्तिक में आराम से घुस जाता है…
रिटायरमेंट के बाद और मेहनत की।
सुपर-30 से अलग होने के बाद उन्होंने मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने की योजना बनाई। यहीं से जन्म हुआ रहमानी सुपर 30 का।मुस्लिम बच्चों ने सफलता हासिल की। बच्चों के आइजी अंकल एडीजी हुए और डीजीपी होने के बाद कुछ वर्ष पहले रिटायर भी हो गए हैं मगर पढ़ाने और पढऩे का सिलसिला आज भी लगातार जारी है।