फतवाबाजों की ढकोशलाबाजी

राजशेखर रेड्डी क्रिश्चियन थे और वे तिरुपति मंदिर जाकर पूजा कर लेते थे…

सोनिया गांधी ईसाई हैं और वे लालकिला से रावण वध करती थी, जय श्रीराम के उदघोष के साथ. . लेकिन उनका ईसाई धर्म खतरे में नहीं पड़ा..

अटलबिहारी बाजपेयी मुस्लिम विधि-विधान से कई मस्जिदों में गए और इफ्तार की दावत दी लेकिन उनका ब्राह्मणत्व कभी खतरे में नहीं पड़ा..

और भी न जाने कितने नेता चाहे वो किसी भी पार्टी के हों जालीदार टोपी पहने… इफ्तार करते आराम से दिख जाते हैं किन्तु सब का धर्म सुरक्षित है ।
पर खुर्शीद आलम के जयश्रीराम कहते ही इस्लाम खतरे में पड़ गया.. उन्हें एक मौलाना ने धर्म बाहर किया उनका निकाह भी समाप्त मान लिया..

वे मौलाना अब सलमान खान को भी इस्लाम से निकालें जिसने अनगिनत बार अपनी फिल्म बजरंगी भाईजान में जय श्रीराम कहा है..

शाहरूख खान को बाहर करें जो फिल्म भूतनाथ में ब्राह्मण बनता है और पितर शांति हेतु हवन करता है..

दिलीप कुमार (यूसुफ खान) को निकालें जिन्होने अपना नाम भगवान राम के बाबा के नाम पर दिलीप रखा और जो फिल्म गंगा-जमना में किसी कर्मकांडी ब्राह्मण से अधिक पूजा-पाठ करते दीखते हैं और एक श्रद्धालु हिंदू की भांति सारे संस्कार निभाते हैं..

वे मीना कुमारी के बारे में फ़तवा ज़ारी करें जो अपनी हर फिल्म में एक धर्मपारायण हिंदू महिला नज़र आती रही हैं..

वे शकील बदायूँनी, हसरत जयपुरी और मुहम्मद रफ़ी को भी गैर इस्लामिक बन्दे करार दे दें क्योंकि इन लोगों ने सगुण भक्ति वाले भजन लिखे और गाए..

वे अमीर खुसरो, मलिक मोहम्मद जायसी और नजीर अकबराबादी के बारे में घोषणा करें कि वे छद्म हिंदू थे..

फिर ग़ालिब भी उनके नहीं रहेंगे न रहीम न अकबर न रसखान.. और तो और अशफाक उल्ला खान, मौलाना हसरत मोहानी, सीमान्त गाँधी अब्दुल गफ्फार खान से लेकर आसफ अली, बरकतउल्लाह खान, क़ाज़ी नजरूल इस्लाम, बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान भी उनके पास नहीं बचेंगे..

सर सैयद भी उनके पाले से बाहर हो जाएंगे.. फिर मौलाना आप अपने इस्लाम को लेकर अकेले रहना..

रूपेश सिंह की कलम से

 

 

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