बिहार बचाओ मोर्चा बंगलादेशी घुसपैठियों के खिलाफ सीमांत जिलों सहित पुरे राज्य में अभियान चलाएगी
आज बिहार बचाओ मोर्चा ने एक प्रेस विज्ञाप्ति जारी किया जिसमे कहा गया है आज बिहार अनेक प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है |सीमांत जिलों के दौरे से पता चलता है कि वहाँ दुसरे कश्मीर के निर्माण की तैयारी चल रही है | यहाँ बंगलादेशियों की जनसंख्याँ खतरनाक तरीके से बढ़ चुकी है |इन्होंने अब यहाँ के सामाजिक ताने बाने को प्रभावित करना शुरू कर दिया है |कई जगह तो ये अब प्रतिनिधियों को जिताने और हराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं |हाल ही में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या को स्वीकार किया है। इससे इतर कांग्रेस की सरकार घुसपैठियों को वोट बैंक के रूप में ही देखती रही। अब तो प्रतीत हो रहा है कि कुछेक राज्यों में घुसपैठिए ही सरकार का भविष्य निर्धारित करेंगे।अररिया (41), किशनगंज (68), कटिहार (43), पूर्णियां (37), साहिबगंज (31) आदि कई जिलों को बतौर उदाहरण देखा-समझा जा सकता है, जो अब बांग्लादेशी मुस्लिम बहुल हो चुके हैं |दिए गए आंकड़े २००१ के जनगणना पर आधारित है। २०११ केआंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं | पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिन्दर सिंह के अनुसार अब तक पांच करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठ कर भारत आ चुके हैं। खबर है कि बांग्लादेशी कट्टरपंथी और चरमपंथी एक ‘वृहोत बांग्लादेश’ की योजना को अंजाम देने की रणनीति में जुटे हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और झारखंड को शामिल करने की बात है। यद्यपि बांग्लादेश की सरकार का इसमें समर्थन नहीं है पर इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतें सरकार के नियंत्रण में नहीं होती हैं |
यहाँ के लोग निर्धन हैं जिसमे गरीब हिदुओं की संख्या ज्यादा है |उनकी निर्धनता का फायदा उठा उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परपराओं को बदलने की कोशिस की जा रही है |वहां उनकी बहु बेटी सुरक्षित नहीं हैं | `ऐसे कई मामले देखने में आया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति की सुरक्षित सीटों पर मुखिया मुस्लिम बन बैठे हैं।देखने मे आता है कि उन सीटों को हासिल करने के लिए उसी वर्ग की महिला से शादी कर के मुस्लिम युवक ने उस महिला को चुनाव लड़ा दिया करते हैं| इसके पिछे सोंची समझी साजिश होती है | सरकार इस प्रकार की समस्याओं के प्रति बेरुखी का भाव रखती है क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर इस पर संज्ञान लेंगे तो इसे साम्प्रदायिकता की नज़रों से देखा जाएगा ,जो ठीक नहीं है | इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे |कालान्तर में हमारा बिहार भी कश्मीर बन जाएगा और एक और विभाजन का खतरा उत्पन्न हो जाएगा |हमें समय रहते चेतने की आवश्यकता है नहीं तो बहुत देर हो जायेगी |
विदीत हो कि बिहार बचाओ मोर्चा एक गैर राजनीतिक संगठन है जिसका संयोजक मिथिलेश कुमार सिंह को मनोनीत किया गया है। मिथिलेश सिंह ने कहा कि यह संगठन राष्ट्रवादी विचारधारा के संस्थापना हेतु समर्पित है।यह राष्ट्र विरोधी तत्वों की समाप्ति तक संघर्ष करता रहेगा।