टुकड़ा टुकड़ा इश्क:अधूरी दास्तां
लप्रेक-1 वह अचानक से आकर मेरे सामने बैठ गई थी। मैं थोड़ा हकबका गया,क्योंकि चेहरे की मुस्कुराहट और नजर की
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लप्रेक-1 वह अचानक से आकर मेरे सामने बैठ गई थी। मैं थोड़ा हकबका गया,क्योंकि चेहरे की मुस्कुराहट और नजर की
Read moreहम आज ऑटो में बैठकर एयरपोर्ट के रेस्टुरेंट में जा रहे थे। बारिस अभी अभी खत्म हुई थी।हवा की ठंडक
Read moreतस्वीरे बोलती है ………………………………… रोज सुबह उठने के साथ वापस न सो जाऊ इसलिए अपने फ्लैट के बरांडे में जाकर
Read moreसतयुग सतयुग में मानव के शत्रु अलग लोको में निवास करते थे अत: सतयुग के सारे युद्ध देवलोक और असुरलोक
Read moreप्रिय कुमुदनी, आशा करता हूँ कि ये पत्र तुम तक जरुर पहुँचेगा , तुम इसे मेरी ओर से क्षमा याचना
Read moreयम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला पी न होश में फ़िर आएगा सुरा- विसुध यह मतवाला यह अंतिम
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