चीन है कि मानता नहीं

चीन की बदमाशियां थमने का नाम नहीं ले रही है |वह रोज ब रोज सीमा विवाद पर कुछ न कुछ बोल रहा है | अब चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ का कहना है कि सिक्कम इलाके में मौजूद डोकलाम पर कोई समझौता नहीं होगा। भारत बॉर्डर से अपनी फौज हटाए, तभी इस मुद्दे पर बातचीत मुमकिन है। दरअसल, चीन के साथ तनातनी खत्म करने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय ने डिप्लोमेटिक चैनल इस्तेमाल करने की बात कही थी। चीनी मीडिया इसी का जवाब दिया है।
– चीन की स्टेट काउंसिल के तहत काम करने वाली और ऑफिशियल प्रेस एजेंसी शिन्हुआ के आर्टिकल में लिखा गया है कि चीन के लिए बॉर्डर लाइन ही बॉटम लाइन है। यानि, बॉर्डर को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता।
– चीनी की सरकारी मीडिया ने यह लाइन पहली बार इस्तेमाल नहीं की है। पिछले हफ्ते भी शिन्हुआ और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अखबार पीपुल्स डेली ने अपने एडिटोरियल्स में इसका इस्तेमाल किया था।
भारत पर बात अनसुनी करने का आरोप
– आर्टिकल में यह भी लिखा है, “डोकलाम में बॉर्डर क्रॉस करने वाली फौज को वापस बुलाने की चीन की मांग को भारत लगातार अनसुना कर रहा है।”
– “हालांकि, चीन की बात न मानने वाले उसके रवैये से मामला तूल पकड़ेगा और अखिरी में भारत को शर्मिंदा होना पड़ेगा।”
इस बार मामला बिल्कुल अलग है
– शिन्हुआ ने लिखा है, “भारत को मौजूदा हालात को पहले दो बार 2013 और 2014 में लद्दाख के पास बने हालात की तरह नहीं देखना चाहिए। भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच साउथ ईस्ट कश्मीर का यह इलाका (लद्दाख) विवादित है। उस वक्त डिप्लोमेटिक कोशिशों से दोनों देशों की फौजों के बीच टकराव को सुलझा लिया गया था, लेकिन इस बार मामला पूरा अलग है।”
30 साल में सबसे लंबा गतिरोध
– देशों के बीच मौजूदा गतिरोध बीते तीन दशकों में सबसे लंबा माना जा रहा है। यह 18 जून से शुरू हुआ था। उस वक्त चीन ने आरोप लगाया था कि भारत बॉर्डर एग्रिमेंट के खिलाफ चला गया है। भारतीय सैनिक बॉर्डर क्रॉस करके डोकलाम में घुस आए हैं और चीनी सैनिकों को रोड बनाने से रोक दिया है। उनका कहना था कि इलाके में अभी बॉर्डर तय नहीं है, इसलिए चीन मौजूदा स्थित में बदलाव न करे।
सिक्किम में क्यों शुरू हुआ विवाद? क्यों जरूरी है चीन को रोकना?
1) पहली वजह: सिक्किम सेक्टर में चीन का सड़क बनाना
– चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा है। इसी इलाके में चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत इस विवाद पर भूटान का साथ देता है।
– इसी इलाके में 20 km हिस्सा सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह ‘चिकेन नेक’ भी कहलाता है। चीन का इस इलाके में दखल बढ़ा तो भारत की कनेक्टिविटी पर असर पड़ेगा। भारत के कई इलाके चीन की तोपों की रेंज में आ जाएंगे।
– दरअसल, सिक्किम का 16 मई 1975 को भारत में विलय हुआ था। पूर्वोत्तर से चीन की तरफ जाने वाला इकलौता रास्ता नाथू ला दर्रा सिक्किम में ही है।
– चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था। लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अपना बताता है।
2) दूसरी वजह : चीन की घुसपैठ
– चीन की आर्मी ने हाल ही में सिक्किम सेक्टर में घुसने की कोशिश की और भारतीय जवानों से हाथापाई की। इस दौरान चीन के सैनिकों ने हमारे 2 बंकर भी तोड़ दिए।
– यह घटना सिक्किम के डोका ला जनरल एरिया में लालटेन पोस्ट के पास हुई। भारतीय सैनिकों ने ह्यूमन चेन बनाकर चीनियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे धक्का-मुक्की करते रहे।
– भारत ने विरोध दर्ज कराया तो उल्टे चीन ने ही भारत पर घुसपैठ के आरोप लगा दिए।
3) तीसरी वजह : कैलाश मानसरोवर यात्रा
– चीन की तरफ से विवाद यहीं नहीं थमा। चीन ने कहा कि भारतीय सैनिक तुरंत पीछे हट जाएं। भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी रखना इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस टकराव का हल कैसे निकालता है?
– सीमा पर तनाव के चलते नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए चीन ने बंद कर दिया। इसके बाद भारत ने इस रूट से यात्रा रद्द कर दी।

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