चूहे के बाद अब बिहार पुलिस नशे में
बिहार में शराबबंदी बनी है कहानी,अमूमन शराब बन्द तो शराब की चर्चा बन्द मगर यहाँ तो शराब हीं चर्चा में है,कभी आम लोग,कभी चूहा और कभी खुद वर्दी।बिहार में आम लोगों की कौन कहे खाकी वालों का भी नही टूट रहा है नशा।
नशे में कौन नही है हमें बताओ जरा,बिहार में शराबबंदी के बाद तो ऐसा हीं कुछ लगता है।रोड रोलर चलाये गए,शराब गंगा में बहाये गए,मुख्यमंत्री ने समीक्षा कर इस कानून के लिए पुलिस को सख्त रवैया इख़्तियार करने की हिदायत 10 मई को दे दी।मगर ये क्या शराब की बरामदगी भी हुई और 2419 लोग पकड़े भी गए मगर नीतीश कुमार की पुलिस भी नशे को ना कहने को तैयार नही।इस पकड़ धकड़ में कई पुलिसकर्मी भी चढ़े हत्थे।
सुना आपने इसमें कोई दो मत नही की सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने को हर प्रयास तेज़ किया है।आश्चर्य की शराबबंदी के 14 महीने बाद भी आलम ये की 10 मई को मुख्यमंत्री ने बिहार के सभी जिलों के एस पी और डी एम् के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की और 12 दिन के बाद 1567 cases,24,500,22 litres देशी शराब, 2419 लोग गिरफ्तार और ख़ास ये की 38 police officers और 30 police personnel भी इस हमाम में मिले।अब ऐसा क्यों ये जवाब नही था अधिकारी के पास।
इधर खाकी का ये रूप सियासी हलकों में भी हंगामा मचा गया।विपक्ष पूछ रहा सवाल की ये कौन सी सरकार और कैसी शराबबंदी जिन पर कानून लागू करवाने का दारोमदार वही उड़ा रहे हैं कानून की धज्जियां।और सत्तारूढ़ दल बचाव में जुटी।
तो शुरू है शराब पर नकेल की कोशिश ,आम आदमी तो खाकी के रौब से डर शराब से दूर होगा मगर उस खाकी का क्या जो शराब से डरने को तैयार नही।