शिक्षा व्यवस्था फेल ,बोर्ड पास

पिछले साल बिहार में हुए टॉपर्स घोटाले पर हुई थी सरकार की फजीहत सो इस साल सभी को इस परीक्षा परिणाम का था इंतज़ार।परीक्षा फुलप्रूफ इसके तो कई प्रमाण मिले मगर आधे छात्र भी उत्तीर्ण नही हो पाये ये बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए नया सवाल।
बिहार के हाजीपुर में दो साल पहले स्पाइडरमैन बन चोरी कराने की तस्वीर रही हो या फिर पिछले साल का मेधा घोटाला।इंटरमीडियट की परीक्षा में 2016 में इतना बड़ा घोटाला की परीक्षा समिति के अध्यक्ष तक जेल चले गए और अब तक जेल में है।इस वर्ष परीक्षा कदाचार मुक्त,बार कोडिंग से लेकर वो तमाम व्यवस्था जिससे परीक्षा प्रणाली पर सवाल ना उठे।साइंस,कोर्स और आर्ट्स मिलाकर 1,240,168 विद्यार्थी परीक्षा में बैठे मगर उत्तीर्ण हुए महज़ 35%…
2017:
30.11 % science student pass
73.76 % commerce students pass
37.13 % arts students pass
मगर इस परिणाम से शिक्षा विभाग बहुत खुश।टॉपर्स को खुद फोन करके कैमरे के सामने बधाई की नयी परिपाटी शुरू की गयी।टॉपर्स को 1 लाख नकद और  लेपटोप भी दिया जायेगा।
 सरकार खुद की पीठ थपथपा रही है मगर पिछले साल के रिजल्ट क्या कह रहे,
2016 :
विज्ञानं 67.07%,
 कॉमर्स 80.87%
 आर्ट्स  56.73%
तो बिहार के छात्र अब कम मेधावी ये फिर पूरी व्यवस्था की खुल गयी पोल,सब कुछ चोरी और सेटिंग के भरोसे और जब उस पर कसी नकेल तो शिक्षा के गिरते स्तर का मिला प्रमाण। ऐसे परिणाम के विषय में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आंनद किशोर से बात की गई कि फुलप्रूफ परीक्षा इस बार कैसे हुई उसका जवाब तो था मगर पहले के रिजल्ट और अब की शिक्षा व्यवस्था क्या कह रही इसपर जवाब उनके पास भी स्पष्ट नही था।

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