कश्मीर घाटी में अलगाववादियों का समर्थन करने वाले लोगों की आंखें अब तो खुल ही जानी चाहिए
कश्मीर घाटी में अलगाववादियों का समर्थन करने वाले लोगों की आंखें अब तो खुल ही जानी चाहिए। कश्मीरियों को सब्जबाग दिखा अपनी दुकान चलाने वाले हुर्रियत नेताओं की असलियत सबके सामने आ चुकी है। एनआईए के छापों में मिले दस्तावेज हुर्रियत नेताओं की पोल ही नहीं खोलते बल्कि सिक्के के दूसरे पहलू से भी अवगत कराते हैं। बीते आठ सालों में कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान ने 1500 करोड़ रुपए भेजे।
जांच में सामने आया कि आधी रकम हुर्रियत नेताओं ने आतंक की आग भड़काने में खर्च की तो बाकी आधी रकम यानी 750 करोड़ खुद हजम कर गए। कश्मीर के आम नागरिकों को भड़काकर ये हुर्रियत नेता ऐश की जिंदगी बसर कर रहे हैं। इनके बच्चे विदेशों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो ये नेता पाक से मिले धन से सम्पत्तियां बना रहे हैं। ये कैसा जिहाद है? घाटी में हिंसा की भड़कने के बाद का इतिहास खंगालें तो यही सामने आएगा।
कश्मीर में बात-बात पर सुरक्षा बलों से टकराव पर उतारू युवाओं को समझना चाहिए कि जिहाद के नाम पर मारे आम कश्मीरी जाते हैं पर अलगाववादी नेताओं के कभी खरोंच तक नहीं आती। दुश्मन देश के टुकड़ों पर पलने वाले इन अलगाववादी नेताओं का असली चेहरा सामने आने के बाद लोगों को इनसे सवाल पूछने चाहिए। कश्मीर घाटी में जो हो रहा है वह आम कश्मीरियों को बहकाने के अलावा कुछ और नहीं।
आतंक के आर्थिक स्रोतों पर एनआईए की जांच अंजाम तक पहुंचे। अलगाववादी नेताओं के साथ सहयोग करने वालों को देशद्रोही ही मानना चाहिए। फिर चाहें वे हवाला कारोबारी हों या राजनेता। आतंकवाद के सफाए के लिए आतंककारियों का भी सफाया करना होगा तो उन्हें पनाह देने वालों का भी। इसके साथ-साथ घाटी के भटके हुए युवाओं को रास्ते पर लाने के उपाय भी करने होंगे।
अलगाववादी नेताओं की असलियत आम कश्मीरियों तक पहुंचा दी जाए तो भी हालात बदलने में मदद मिल सकती है। एनआईए जो कर रही है, उसका असर वर्तमान पर भी नजर आना चाहिए और भविष्य पर भी। यानी आतंकवाद का सफाया भी हो और भविष्य में भी इसके पनपने की आशंका का खात्मा हो सके। साथ ही आम कश्मीरी को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए उनकी वाजिब मांगों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि चंद लोग अपने फायदे के लिए लोगों को बहका नहीं सकें।
सौजन्य – पत्रिका।