जी एस टी लागू
जीएसटी की लॉन्चिंग के समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन को सबसे पहले संबोधित किया.वित्त मंत्री ने जीएसटी पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की कोशिशों की सरहाना करते हुए कहा कि राष्ट्र्पति जीएसटी की यात्रा के सबसे पहले गवाह हैं, जो 15 साल पहले शुरू हुई थी. 2006 के बजट मे यूपीए के बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि 2010 में इसे लागू किया जाएगा. 2011 में वित्त मंत्री की हैसीयत से राष्ट्रपति ने जीएसटी को संसद के पटल पर रखा था. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक दिन हम वस्तु एवं सेवा कर विधेयक लागू करके भारत के विकास में ऐतिहासिक फैसला करने जा रहे हैं. यह भारत की एक नई शुरुआत होगी. इससे नए भारत का निर्माण होगा और नए भारत में केंद्र और राज्य मिलकर एकसाथ काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि उस समय की स्टैंडिंग कमेटी ने जीएसटी काउंसिल के गठन का फैसला लिया गया. यह एक ऐसा फैसला था जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम करेंगी. उन्होंने कहा कि केंद्र, 29 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में 17 टैक्स और 23 सेस लगते थे. इनको समाप्त करके अब एक टैक्स बना दिया गया है.
अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में सभी की कोशिश थी कि देश के आम आदमी पर टैक्स को बोझ कम से कम पड़े. काउंसिल में 24 अधिनियम बन चुके हैं और 1211 वस्तुओं पर टैक्स का निर्धारण किया जा चुका है. खासबात ये रही कि ये सभी फैसले सभी की सहमति से लिए गए हैं. किसी पर कुछ थोपा नहीं गया है. इस सिलसिले में जीएसटी परिषद की 18 बैठकें की गईं.
अब केवल एक सॉफ्टवेयर पर रजिस्ट्रेशन करके हर महीने की 9-10 तारीख को अपनी रिपोर्ट दर्ज करनी होगी. इस व्यवस्था से आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा, चुंगी नाकाओं पर ट्रकों की भीड़ खत्म होगी. इनपुट स्तर जो आप ने एक बार टैक्स दिया उसका असर ऑउटपुट में मिलने लगेगा. टैक्स चोरी रुकेगी और अधिकारियों द्वारा आम आदमी का उत्पीड़न रुकेगा.
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