एक रन का तीर ,जो पुणे टीम के सीने में लगा
शायद इसे ही क्रिकेट का रोमांच और अनिश्चितता की संज्ञा दी जाती है |आई पी एल -१० के फाइनल में जो कुछ हुआ वह शायद ही किसी ने सोचा हो |टूर्नामेंट के दोनों लीग मैचों में मुंबई को हराने वाली पुणे की राइजिंग सुपर जाइंट्स ने क्वालीफायर में भी इसी मुंबई टीम को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी |चौथी बार फाइनल खेल रही मुंबई टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने जब हैदराबाद में टॉस जीत कर पहले बैटिंग ले ली तो सभी को लगा कि उनका यह फैसला मुंबई टीम को काफी भारी पड़ेगा |स्टीव स्मिथ की अगुआई वाली पुणे टीम ने लाजवाब गेंदबाजी और फ़ील्डिंग करके मुंबई की मुश्किलें और बढ़ा दी |निर्धारित २० ओवरों में मुंबई टीम आठ विकेट खोकर सिर्फ १२९ रन ही जुटा सकी |क्रिकेट की थोड़ी भी जानकारी रखने वाले के लिए इस पिच पर १८० -१९० का स्कोर ही जरूरी लग रहा था जिससे मुंबई टीम ५० रान पीछे रह गई थी |वो तो भला हो कुनाल पांड्या का जिसने ४७ रनों की पारी खेल दी वरना मुंबई का पुलिंदा तो बहुत पहले ही बांध जाता |मुंबई की सिर्फ रन गति ही धीमी नहीं रही बल्कि उसने लगातार अपने विकेट भी गंवाए |७९ के स्कोर पर मुंबई के सात बल्लेबाज आउट हो चुके थे |यहाँ से मिशेल जॉन्सन ने कुनाल के साथ मिलकर स्कोर को १२९ तक पंहुचाया |इस स्थिति में सभी को रोहित शर्मा का पहले बैटिंग करने का फैसला और भी गलत लगने लगा |लगा कि चौथी बार फाइनल में पहुँचने वाली मुंबई का तीसरी बार चैंपियन बनना नामुमकिन है |
जवाब में खेलती हुई पुणे टीम ने जब ११.५ ओवर में मात्र दो विकेट खोकर ७१ रन बना लिए थे तो मुंबई की हार स्पष्ट दिखने लगी थी |लेकिन यहीं से शुरू हुआ उस कहावत का चरितार्थ होना कि ,” क्रिकेट शानदार अनिश्चितताओं का खेल है “|पहले तो मुंबई के गेंदबाजों ने कसी गेंदबाजी कर रनों की गति पर लगाम लगाया और उसके बाद तो हर गेंद पर मैच में मोड़ आता गया |फिर भी कप्तान स्टीव स्मिथ एक छोर पर डटे थे और मुंबई के लिए कहीं भी मामला सरल नहीं था |आखिरी ओवर आ गया |पुणे के पास पूरा मौका था |गेंद मिशेल जॉन्सन के हाथ में जो बेहद अनुभवी गेंदबाज हैं |मनोज तिवारी ने चौका लगा दिया और लक्ष्य आ गया ७ रन पर |यहीं से वो मोड़ आया जिसे क्रिकेट कहते है |जॉन्सन की अगली ही गेंद पर डीप मिड – विकेट पर पोलार्ड ने लपक लिया |इसके बाद जॉन्सन ने अर्ध शतक बना चुके स्टीव स्मिथ को भी रायडू के हाथो लपकवा कर पवेलियन चलता किया |इसके बाद जब डेनियल का कैच कुणाल से छूटा तो लगा कि जीत की डोर मुंबई टीम के हाथों से छूट गई ,लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था |अब बची थी सिर्फ एक गेंद और पुणे को चाहिए थे चार रन |डेनियल ने स्ट्रोक लगाया और दौड़े |इसके पहले कि वो तीसरा रन पूरा कर पाते विकेट -कीपर पार्थिव पटेल ने उन्हें रन आउट कर के मुंबई को एक ऐसी जीत दिला दी जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी |यह था एक रन का वो तीर जो पुणे टीम की छाती में घुस गया और उसे ढेर कर दिया |पुणे की और से खेलने वाला शायद ही कोई खिलाडी अपनी जिंदगी में इस हार को भूल सकेगा |वहीं दूसरी ओर इस जीत को मुंबई भी हमेशा याद रखेगी ,खास कर उसके कप्तान रोहित शर्मा |