अल्ट्रालाइट हॉवित्जर से होगा दुश्मन देशों का माकूल इलाज़

इंडियन आर्मी ने दो अल्ट्रालाइट हॉवित्जर तोपों की टेस्टिंग राजस्थान के पोकरण रेंज में शुरू की है। अमेरिका से खरीदी गईं ये तोपें 25 km तक बिल्कुल सटीक निशाना लगाकर दुश्मन को ढेर करने की ताकत रखती हैं। रविवार को आर्मी के एक अफसर ने बताया कि सितंबर तक इन तोपों की टेस्टिंग जारी रहेगी, ताकि इंडक्शन प्रोग्राम के लिए इसकी फायरिंग टेवल तैयार की जा सके। अगले साल सितंबर तक तीन और तोप आर्मी को मिलेंगी। भारत ने पिछले साल अमेरिका से 4800 करोड़ रुपए में 145 हॉवित्जर तोप की डील की थी। बोफोर्स स्कैंडल के 30 साल बाद कोई विदेशी तोप इंडियन आर्मी को मिली है।
– सूत्रों के मुताबिक, इंडियन आर्मी हॉवित्जर तोपों को ज्यादा ऊंचाई वाली चीन से लगने वाली सीमा (अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख) में तैनात करेगी।
– अमेरिका 2 तोपें भारत भेज चुका है। बाकी 23 भारत में महिंद्रा कंपनी की मदद से असेंबल और टेस्ट की जाएंगी। वजन और मारक क्षमता के लिहाज से ये दुनिया की सबसे कारगर तोप है। अमेरिका ने इसे कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत को बेचा है। 2007 से अब तक भारत और अमेरिका के बीच 13 बिलियन डॉलर की आर्म्स डील हो चुकी है।
हॉवित्जर में क्या है खास?
– हॉवित्जर तोपें दूसरी तोपों के मुकाबले बेहद हल्की हैं। इन्हें आसानी से एक से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। ऑपरेट करना भी बेहद आसान है। फायरिंग के लिए 155 mm की नाल मौजूद है, जिससे भारतीय गोले भी दागे जा सकते हैं।
– तोप बनाने में टाइटेनियम का इस्तेमाल हुआ है। यह 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुल सटीक तरीके से और 50 km तक टारगेट को हिट कर सकती है। अगर 17 माउंटेन कॉर्प्स में इनकी तैनाती हुई तो चीन से निपटने में ये तोपें काफी कारगर साबित होंगी।
– हॉवित्जर M-777 का वजन सिर्फ 4,200 किलोग्राम है। जबकि इंडियन आर्मी जिन बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल कर रही है, उनमें हर एक का वजन 13,100 किलो

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