अगर संघ फासिस्ट है तो मैं भी फासिस्ट-जे पी

जय प्रकाश नारायण ने कहा था-
“मैं आत्मसाक्ष्य के साथ कह सकता हूं कि संघ और जनसंघ वालों के बारे में यह कहना कि वे फ़ासिस्ट लोग हैं, सांप्रदायिक हैं, ऐसे सारे आरोप बेबुनियाद हैं. देश के हित में ली जाने वाली किसी भी कार्ययोजना में वे लोग किसी से पीछे नहीं हैं. उन लोगों पर ऐसे आरोप लगाना उन पर कीचड़ फेंकने के नीच प्रयास मात्र हैं.”
जेपी की ही तरह अपने जीवन के अंतिम दिनों में जवाहरलाल नेहरू में संघ के कार्य पद्धति को देख कर इसके कायल हो गए थे । ऐसा माना जाता है लौह पुरुष वल्लभ भाई पटेल अपने अंतर्मन से संघ की विचारधारा से सहमत थे । जब गांधी के हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाया गया तब संघ के खिलाफ जांच की प्रगति पर कई बार नेहरु जी ने बातचीत के दरमियां असंतोष दर्शाया था । उन्हें लगता था कि पटेल संघ को बचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था संघ के खिलाफ सबूत नहीं थे । अंत में मजबूरी में सरकार को संघ से प्रतिबंध हटाना पड़ा । प्रतिबंध हटाने के बाद पटेल ने गुरु जी से कहा के अगर प्रतिबंध हटने से किसी को सबसे अधिक खुशी हुई होगी तो मैं हूं और इस बात को मेरे नजदीकी लोग अच्छी तरह समझते हैं ।
गांधी जी भी संघ के प्रति अच्छा भाव रखने लगे थे ।अपने जीवन के अंतिम दिनों में गांधीजी ने स्वयंसेवकों को भी संबोधित किया था। उनका मानना था संघ राष्ट्र निर्माण के लिए बड़ा ही सुंदर कार्य कर रहा है । विभाजन के दरमियां जब भारी संख्या में जनसंख्या का विस्थापन हो रहा था तो पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदुओं को सकुशल और सुरक्षित भारतीय भाग में स्थानांतरित करवाने में संघ ने बड़ा ही अहम योगदान दिया था। गांधीजी संघ के इस कार्य से बड़ा ही प्रभावित हुए और व्यक्तिगत रूप से उन्होंने संघ को बधाई भी दिया था । गांधी जी अंतिम दिनों में कांग्रेस की दुर्गति देखकर कांग्रेस की कमान जयप्रकाश नारायण को सौंपना चाहते थे और गांधी के अनुरोध पर जय प्रकाश अपनी पत्नी जय प्रभा जी के साथ दिल्ली आ भी चुके थे लेकिन लेकिन तभी दुर्भाग्यवश गांधी जी की हत्या हो गई और इतिहास बदलने से रह गया।

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