लाल बत्ती का मोह

लाल बत्ती तो आज से हटाया जाना है,मगर बिहार के नेताओं का लाल बत्ती से प्यार ऐसा की आखरी वक़्त तक इस रुतबे के प्रतीक को करीब रखना चाहते हैं।इधर सरकार भी इस बात से नाराज़ की केंद्र ने एक निर्णय थोप दिया है,जरूरत आपसी सामंजस्य बना निर्णय लेने की थी।सो लाल बत्ती से आखरी वक़्त तक के लगाव पर ये रिपोर्ट।
1 मई से लाल बत्ती हटे। ये हैं Rjd के विधायक और विधान सभा में निवेदन समिति के अध्यक्ष भाई बिरेन्द्र।ये लाल बत्ती के हटने की बात सुन बिफर जाते हैं।चाहते नही की बटी हटे।इनकी माने तो क्यों हटाई जा रही बत्ती,ये सवाल हैं इनके और अगर बत्ती हटे तो फिर पॉवर के दूसरे जो सूचक हैं उनका क्या।प्रधानमंत्री खिड़की भी आम हो जाएँ।
परिवहन मंत्री ने तो केंद्र सरकार को खत लिखवा दिया है।कुछ रियायत और छूट राज्य सरकार के जिम्मे हो।बिहार में आपदा विपदा बहुत आती है तो समय के अनुसार हमे बदलाव करनी पड़ सकती है।केंद्र क्यों हर कुछ थोप रहा है,थोड़ी हमारी भी सुने।
परिवहन मंत्री कह रहे की नए नोटिफिकेशन को तो मानना मजबूरी है मगर जबरदस्ती ठीक नही।इधर कुछ और लाल बत्ती धारकों ने मोह छोड़ा,जिनमे जदयू के नीरज कुमार भी  है। मगर बात से साफ़ है की मन इन्हें भी ज्यादा नही था।बत्ती हटा कह रहे की केंद्र को इन सबसे अलग बहुत बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।सिर्फ लाल बत्ती हटा देने से नही बनेगी बात,ऐसे इन्होंने बत्ती हटा दी पहले हीं।

लाल बत्ती तो हटाना हैं ही मगर जिन्हें मिला था वो बड़े भारी मन से हटा रहे हैं।अगर नेताजी की चले तो फिर लाल बत्ती से दूर न हों


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