महागठबंधन एक्सप्रेस बेपटरी लेकिन..

दुर्घटना होगी की नहीं ये पता नहीं . पल पल मौसम बदल रहा है बिहार का .

महागठबंधन  में  बातों के तीर थमने के नाम नहीं ले रहे हैं . शिवानन्द तिवारी ने कहा कि लालू जी ने कई बार नीतिश जी को बचने का काम किया है . इनको लालू जी का साथ देना चाहिए था . इस बिच आर जे डी के बयानबाजी पर जे डी यू ने अपने रुख कड़े कर लिए हैं .सोमवार को जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.त्यागी और प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह , राजीव रंजन प्रसाद, डॉ.अजय आलोक व नीरज कुमार ने बारी-बारी से राजद पर निशाना साधा है। जदयू महागठबंधन की मां है दाई नहीं.संजय सिंह ने भाई बिरेन्द्र और रघुवंश सिंह को पार्टी से निकालने  की मांग कर डाली है ...

आर जे डी ने किया सरेंडर 

जनता दल यू (जेडीयू) के साथ वाकयुद्ध के बीच आरजेडी ने  अपने एक प्रवक्ता को हटा दिया तथा अपने एक ”बड़बोले” विधायक भाई बीरेन्द्र को चेतावनी दी जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधे हुए थे. बिहार के आरजेडी प्रमुख रामचंद्र पुरबे ने अशोक सिन्हा को पद से हटा दिया जो बतौर प्रवक्ता अक्सर समाचार चैनलों पर पार्टी के विचार रखते देखे जाते थे. मनेर से विधायक भाई बीरेन्द्र को भी राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड आवास पर तलब किया गया.
राज्य में महागठबंधन के दोनों दलों के बीच वाकयुद्ध आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की उस टिप्पणी से शुरू हुआ था जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन करने के जनता दल यू के फैसले को ”ऐतिहासिक भूल” करार दिया था.
जनता दल यू प्रमुख नीतीश कुमार ने भी यह स्पष्ट कर दिया था कि वह अपने फैसले से पीछे हटने नहीं जा रहे हैं.
आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और विधायक भाई बीरेन्द्र, नीतीश कुमार और जनता दल यू के खिलाफ टिप्पणी करने का कोई मौका नहीं जाने देते थे लेकिन मामले ने उस समय गंभीर मोड़ ले लिया जब उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की जिसे नीतीश कुमार के खिलाफ देखा गया.

 जे डी यू और कांग्रेस के बीच  सब कुछ ठीक नहीं है– जाने अंदर की बात 

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश कुमार के रुख से कांग्रेस के शीर्ष नेता नाराज हैं. वे इस बात से ज्यादा नाराज नहीं हैं कि नीतीश ने एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया. ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर है कि विपक्ष की अहम बैठक से एक दिन पहले जिस तरह से रामनाथ कोविंद का समर्थन और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई बैठक में न जाने की घोषणा की गई, उससे कई सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली में कांग्रेस के नेता इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने बिहार कांग्रेस के मुख्यालय में इफ्तार के दौरान नीतीश कुमार से फैसले को 22 जून तक स्थगित करने की बात की थी ताकि गुरुवार को होने वाली बैठक नीतीश की पार्टी से दूरी बनाए बिना हो जाए. कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि नीतीश ने इससे इनकार कर दिया. लेकिन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस तरह के किसी अनुरोध से इनकार करते हुए कहा कि जब कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करेंगे तो ऐसे में बैठक की गुंजाइश कहां रह जाती है.

सूत्रों के मुताबिक- कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि नीतीश के इस कदम से विपक्ष को झटका लगा है. गैर एनडीए पार्टियों को एक मंच पर लाने का आइडिया नीतीश का था और उन्होंने हमें ही धोखा दे दिया, ठीक उसी तरह जैसे आप किसी को घर खाने के लिए आमंत्रित करते हैं , लेकिन जब आपके मेहमान आते हैं तो आप घर से निकल जाते हैं. नेताओं ने यह भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने नीतीश को महागठबंधन के नेता के रूप में बहुत पहले स्वीकार किया था और लालू और उनकी पार्टी को अपने रुख का समर्थन करने के लिए मजबूर किया था.

सूत्रों के मुताबिक- चेन्नई में जब डीएमके प्रमुख करुणानिधि के जन्मदिन के लिए नीतीश कुमार गए थे तब कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं से बातचीत हुई थी और गोपालकृष्ण गांधी को विपक्ष का उम्मीदवार बनाएं जाने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन कांग्रेस पार्टी उस ओर बैठी रही थी. हालांकि इससे साफ है कि कांग्रेस और नीतीश के बीच तनाव और अविश्वास की लकीर खिंच गई है.

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