हरिहरनाथ मुक्तिनाथ सांस्कृतिक यात्रा
हरिहरनाथ मुक्तिनाथ सांस्कृतिक यात्रा
हरिगरनाथ मुक्तिनाथ यात्रा वास्तव में भरतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक अध्याय है जिसे 2011 में RSS की एक गतिविधि धर्म जागरण समन्वय के द्वारा इसके क्षेत्र प्रमुख माननीय सूबेदार जी की प्रेरणा से शुरू किया गया था। उसके बाद से लगभग प्रत्येक साल इस यात्रा को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया है इस यात्रा का उद्देश्य बड़ा ही सारगर्भित है। इस यात्रा के जरिए एक प्राचीन आध्यात्मिक यात्रा को जनमानस के ध्यान में लाने का काम तो किया ही गया है साथ हीं नेपाल और भारत के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता भी मजबूत हुई है । इस यात्रा के दौरान यात्रा पथ पर धर्म सभाओं एवं महाआरती का आयोजन होता है जिसमें विद्वान वक्ताओं के द्वारा धर्म और अध्यात्म के प्रति समीचीन विषयों के संदर्भ में लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जाता है। इसके द्वारा आयोजित धर्म सभाओं में समाज के अनेक क्षेत्रों के गणमान्य और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के द्वारा सहभागिता की जाती रही है -आर एस एस के केंद्रीय कार्यकारी के सदस्य माननीय इंद्रेश जी , सह सरकार्यवाह माननीय कृष्ण गोपाल जी ,राष्ट्रीय इतिहास संकलन के अखिल भारतीय संगठन मंत्री माननीय बालमुकुंद जी , केंद्रीय मंत्री माननीय गिरिराज सिंह , बिहार सरकार के मंत्री माननीय प्रेम कुमार जी , श्री सुरेश शर्मा जी ,प्रमोद कुमार जी , सांसद लोकसभा ओम प्रकाश यादव जी सतीश दुबे जी , पूर्व सांसद श्रीमती पुतुल कुमारी जी , श्री उदय प्रताप जी उर्फ पप्पू सिंह जी ,संजय पासवान जी आदि जैसे महानुभावों की गरिमामय उपस्थिति रही है
इसके आयोजन समिति में बिहार के गणमान्य और प्रतिष्ठित लोग शामिल रहे हैं। इसकी अध्यक्षता सांसद राज्यसभा श्री गोपाल नारायण सिंह जी करते रहे हैं ।आयोजन समिति के विभिन्न दायित्वों में आईआरएस श्री आशुतोष मिश्रा जी ,श्री राम लखन सिंह जी, श्री रामबालक यादव जी , श्री मिथिलेश कुमार सिंह जी, डॉ अवधेश कुमार जी पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना जी, श्री राजीव श्रीवास्तव ,जी अनूप कुमार सिंह परमार जी ,श्री हरेंद्र जी श्री ,अंकित कुमार जी ,श्री विनोद सम्राट जी आदि जैसे लोग रहते रहे हैं।
विभिन्न माध्यमों से सनातन धर्म पर हमले हो रहे हैं और इन्हें विकृत और नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है ।धर्मांतरण हो या लव जिहाद हो या धर्म के मूलभूत सिद्धांतों के प्रति विकृत बातें हो सारे उपादानों के जरिए हमारे धर्म को हानि पहुंचाया जा रहा है । इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए आम जनमानस को धर्म सभाओं के माध्यम से जागरुक करने का काम किया जाता है ताकि हम अपने धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं को कायम रख सकें।
पिछले 2 वर्षों से इस यात्रा का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है और कोशिश की जा रही है कि इसका प्रभाव बिहार के कोने-कोने में हो, इसी सोच के तहत पिछले साल यानी 2017 में इस यात्रा के दो पथ तय किए गए, सोनपुर से आरंभ होकर एक यात्रा बगहा बाल्मीकि नगर होते हुए नेपाल में प्रवेश किया और दूसरी यात्रा सीतामढ़ी होते हुए नेपाल में प्रवेश किया। दोनों यात्राएं नारायणगढ़ में मिल गई और वहां से फिर मुक्तिनाथ धाम के लिए आगे बढी । 2018 में यात्रा सोनपुुुर के साथ गया ,मंदार , सीतामढ़ी और मरोड़ा से भी निकाली गई। प्रथम यात्रा नेपाल में बेलाटारी ,सूरजपुरा महेशपुर कावासोती होते हुए 3 अप्रैल को नारायणगढ़ पहुंची और दूसरी यात्रा बैरगनिया होते हुए नेपाल में प्रवेश की और गौर चंद्रग्रहपुर पथरिया इटौरा और भंडारा होते हुए इसी दिन नारायणगढ़ पहुंची इसके बाद दोनों यात्राएं सम्मिलित रूप से मुक्तिनाथ की ओर बढ़ी। 6 अप्रैल को जोमसोम होते हुए सभी लोगों ने दोपहर को मुक्तिनाथ दर्शन किया और फिर 7 अप्रैल से यात्रा की वापसी शुरू हो गई । इस प्रकार यह यात्रा बड़े ही सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न हुई। इस पूरी यात्रा क्रम में एक लाख से ऊपर लोगों को अपने विचारों से अवगत कराया गया और उत्पन्न और आसन्न संकटों के बारे में लोगों को जागरुक किया गया।