मुश्किल है शेर खान को भुला पाना ……..

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” चुटकी में भर के नमक ,हाथ में खंज़र ले के
इस पे मचले हैं कि ,हम ज़ख्मे जिगर देखेंगे ”
यही वो शेर है जिसे विनोद खन्ना ने अपने अंदाज़ में फिल्म प्रेम कहानी में कहा था |राजेश खन्ना और शशि कपूर अभिनीत इस फ़िल्म में विनोद खन्ना ने एक गेस्ट रोल किया था शेर खान का |शेर खान वो ट्रक ड्राईवर था जो आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रन्तिकारी राजेश खन्ना को तमाम खतरे उठा कर उसके ठिकाने तक पंहुचाता है |उसे पुलिस पकड़ लेती है और तमाम किस्म की यातना देकर उस क्रांतिकारी का पता पूछती है |

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कोड़ों से मार – मार कर शेर खान का बदन छलनी कर देती है और उसके जख्मों में नमक भर कर पता पूछती जाती है |फिल्म के उस सीन में शेर खान बने विनोद खन्ना ने जिस अंदाज़ से ये शेर कहा था और उस वक़्त उनकी आँखों की जो भाषा थी वो ये तो बता ही रही थी की देश भक्त किस मिटटी के बने होते हैं ,साथ ही यह भी की वो किस ऊंचे दर्जे के कलाकार हैं |इसी तरह के कई ऐसे चरित्र हैं जिसे विनोद खन्ना ने अपने अभिनय और आँखों की भाषा से न सिर्फ जीवंत बल्कि अविस्मर्णीय बना दिया |भला फिल्म ‘मेरा गाँव मेरा देश ‘ के जब्बर सिंह या फिर ‘पत्थर और पायल ‘ के सरजू सिंह डाकू को कौन भूल पायेगा |वे जितनी सहजता से निगेटिव रोल निभाते थे उतनी ही आसानी से रोमांटिक और संजीदा रोल भी |ज़रा याद कीजिये फिल्म ‘इम्तिहान ‘का वो टीचर जिसने करोडपति पिता का बीटा होने के बावजूद अध्यापन का पेशा चुना |उस किरदार को विनोद खन्ना ने जिस सहजता और स्वाभाविकता से जिया वह बेमिसाल था |उनके ऊपर उस फिल्म में फिल्माया गया वह गीत ,” रुक जाना नहीं तू कहीं हार के , काँटों पर चल के मिलेंगे साए बहार के ” आज भी करोड़ों संघर्षरत युवाओं को प्रेरणा देता है |फिल्म दयावान में उन्हें टाइटल रोल निभाना था , और इस रोल को उन्होंने किया नहीं बल्कि जिया |सुनील दत्त ने उन्हें फिल्मो में मौका दिया और “मन का मीत ” में एक विलेन के रूप में फिल्मी दुनिया से रूबरू कराया |यही वजह थी कि दत्त साहब का जबरदस्त प्रभाव उन पर था |खास कर जब वो डाकू का किरदार निभाते थे |फिल्म ‘ कच्चे धागे’ का लाखन सिंह डकैत एक ऐसा ही किरदार था जिसे भूल पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है |शायद बहुत कम लोगों को मालूम हो कि फिल्म ‘ मुझे जीने दो ‘में सुनील दत्तजी ने डकैत की भूमिका निभाई थी ,जिसकी छवि और छाप विनोद खन्ना के दिलो दिमाग पर थी |वो चाहते थे की उन्हें भी लम्बी काली कमीज पहनने और लम्बा काला टीका लगाने वाले (ठीक सुनील दत्त की तरह ) डाकू की भूमिका करने का मौका मिले |उन्हें जैसे ही ऐसे मौके मिले उन्होंने जब्बर सिंह ,लाखन सिंह और सरजू सिंह जैसे किरदारों को अविस्मर्णीय बना दिया |इन पात्रों को जीवंत कर उन्होंने जनता के दिलों में तो खास स्थान बनाया ही सुनील दत्त साहब ने भी उन्हें भरपूर आशीर्वाद दिया |
विनोद खन्ना उन लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा श्रोत रहेंगे जो अपनी मेहनत और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना चाहते हैं |नामुमकिन है उन्हें भूल पाना |

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