भारत के तथाकथित बुद्धिजीवी पाखंडी और डरपोक हैं

केंद्र सरकार के नए पशुवध कानून के विरोध का जो तरीका भाजपा विरोधी पार्टियों और कतिपय ‘सेक्युलर -लिबरल’ लोगों ने अपनाया है वह न सिर्फ समाज और देश विरोधी है बल्कि ,लोकतंत्र में भी किसी भी कानून के इस तरह से विरोध की इजाजत नहीं दी जा सकती |केरल में बीच सड़क पर जिस ढंग से बछड़ा काटकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध जताया वह वहशीपने की पराकाष्ठा थी |उस घटना पर कांग्रेस ने अपनी सफाई भी दी और ऐसे लोगों को पार्टी से निलंबित करने की बात की |बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है |केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन पहले ही इसे मानने से इंकार कर चुके हैं |केंद्र सरकार के नए क़ानून के तहत गाय ,बैल , सांड ,बछिया ,बछड़े ,ऊंट और भैंस को बाज़ार लाकर हत्या के इरादे से इनकी खरीद बिक्री पर रोक लगा दी है |हो सकता है कि ,कुछ लोगों ,संस्थाओं या राजनीतिक पार्टियों को यह पसंद न हो ,फिर भी इसके विरोध का जो तरीका अपनाया गया है ,या फिर अपनाया जा रहा है वह न तो लोकतंत्र का हिस्सा हो सकता है और न ही भारतीय समाज का |हम मोदी सरकार के अंध विरोधी हो सकते हैं ,लेकिन भारतीय समाज और उसकी संस्कृति को इस तरह तार -तार करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती |केरल में खुली सड़क पर बछड़ा काटने वाले घोर कांग्रेसी और राहुल गाँधी के करीबी हैं आई आई टी मद्रास के छात्रों का समूह वामपंथ और ” तथाकथित लिबरल और सेक्युलर “|इन छात्रो ने न सिर्फ ‘बीफ फेस्टिवल ‘ का आयोजन किया बल्कि तमिलनाडु के कई शहरों में मोदी सरकार का सड़कों पर उतर कर विरोध भी |इन सबके बीच उन तमाम “बुद्धिजीवियों ” ने चुप्पी साध रखी है जो अपने आप को भारत की एकता -अखंडता और लोकतंत्र का सबसे बड़ा झंडाबरदार बताते हैं |लगता है वे सब उन दिहाड़ी मजदूरों की तरह हैं जिन्हें  एन डी ए सरकार विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने पाल रखा है |उन्हें कश्मीर के आतंकवादियों की मदद में लगे पत्थर बाजों की ज्यादा चिंता है न कि मेजर गोगोई जैसे सैनिकों की |इन तथाकथित बुद्धिजीवियों का ज्ञान एक धर्म विशेष का विरोध करने और मोदी सरकार के अंधविरोध तक सिमट कर रह गया है |यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है |फिलहाल ,जिस ढंग से कुछ नेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र सरकार के अंध विरोध को ही अपनी सालता मानना शुरू कर दिया है वह घटक है |मोदी के लिए नहीं ,उनके स्वयं के लिए |आने वाले समय में देश की करोड़ों जनता को इन्हें जवाब देना होगा |लोकतंत्र में विरोध के इस तरीके को न कभी पसंद किया गया है और न किया जाएगा |

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