टुकड़ा टुकड़ा इश्क:अधूरी दास्तां
लप्रेक-1 वह अचानक से आकर मेरे सामने बैठ गई थी। मैं थोड़ा हकबका गया,क्योंकि चेहरे की मुस्कुराहट और नजर की
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